
देहरादून NIU ✍️
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा के दौरान बिना लाइसेंस खाद्य सामग्री बेचने वाली दुकानों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देशों को सराहनीय कदम बताया है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से समुदाय विशेष के लोगों द्वारा खाद्य सामग्री के साथ घृणित कार्य कर परोसने की घटनाएं सामने आ रही हैं, उस लिहाज से धामी सरकार का यह निर्णय एक अच्छी पहल है।
पूर्व में उत्तराखंड में लैंड जिहाद जैसे मामलों को उठा कर चर्चाओं में रहे अजेंद्र ने कहा कि धामी सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को शुद्ध व सुरक्षित खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने की दृष्टि से यह स्वागत योग्य निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि जब समुदाय विशेष की धार्मिक मान्यताओं और भावनाओं को ध्यान में रखते हुए हलाल सर्टिफिकेट जैसी व्यवस्था अपनाई जा सकती है तो बहुसंख्यक समाज के लिए क्यों नहीं?
अजेंद्र ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा संवैधानिक प्रावधानों के तहत ही दिशा- निर्देश जारी किए गए हैं। मगर समुदाय विशेष के लोगों को इसमें आपत्ति है। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार की एक सीमा होती है। सारी जिम्मेदारी सरकार पर ही नहीं छोड़ी जा सकती है। समाज की भी अपनी जिम्मेदारी होती है। उन्होंने कहा कि केवल कांवड़ यात्रा ही नहीं, अपितु बाकी समय में भी सभी लोगों को अपने-अपने धर्मों की मान्यता के अनुसार खाद्य सामग्री उपलब्ध हो सके, इसके लिए होटल, ढाबा, रेस्टोरेंट आदि सभी को स्पष्ट रूप से उल्लेख करना चाहिए।
ऐसा उल्लेख कोई और करे या नहीं। कम से कम हिंदुओं को तो करना ही चाहिए। अपने होटल, रेस्टोरेंट आदि व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर अपना नाम, हिंदू प्रतीक चिन्हों, देवी-देवताओं के चित्र आदि लगाकर कर सकते हैं।
ऑनलाइन खाद्य सामग्री बेचने वाली जोमैटो, स्वीगी आदि जैसी कंपनियों के मामले में भी बहुत कुछ किया जाना आवश्यक है। जो ग्राहक ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं उनको यह पूरी जानकारी होनी चाहिए कि वे जिस होटल, रेस्टोरेंट आदि से ऑर्डर कर रहे हैं, वह उनकी भावनाओं अथवा मान्यताओं के अनुरूप है या नहीं?