
दीप मैठाणी, मुख्य संपादक NIU
अजब उतराखंड के गजब हाल, आम नागरिक तो छोड़िये सरकारी योजनाएँ तक यहाँ बेहाल हैं, परियोजनाओं में ऐसी ऐसी अनियमिताएं देखने को मिलती हैं जिससे हर कोई अचंभित हो जाता है, ऐसा ही एक मामला जुड़ा है पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक से जहाँ जुलेड़ी पम्पिंग योजना बरसात की भेंट चढ़ गई ये योजना कोई एक दो या दस लाख की नहीं बल्कि 13 करोड़ रुपए की थी, जी हां सही सुना आपने 13 करोड़ की ये पेयजल पम्पिंग योजना आज मलबे में तब्दील हो गई हर कोई हैरान है की आखिर कैसे एक बरसाती नाले के बीचों बीच इस योजना की DPR को पास कर दिया गया और उसका अंजाम क्या हुआ ये सब आज आपके सामने है, “Juledi Drinking water pumping scheme”




वर्ष 2023 में जब पूरी योजना स्वाहा हो गई तब तत्कालीन पेयजल प्रबंध निदेशक एस सी पंत द्वारा भू विज्ञानं विभाग गढ़वाल विश्व विद्यालय को इस हादसे की वजह जानने व् विशेषग्य भू वज्ञानिकों से जाँच करने का आग्रह किया गया था जिसका पत्र आप स्क्रीन पर देख रहें हैं,

वहीँ कमाल की बात है की इस आग्रह के बाद भू-विज्ञानं विभाग गढ़वाल विश्व विद्यालय के प्रोफ़ेसर प्रो. महेन्द्र प्रताप सिंह बिष्ट द्वारा अपने शोध छात्र के साथ धरातल पर पहुँच कर जाँच भी की गई परन्तु इसकी अधिकारिक जाँच रिपोर्ट कहाँ है इसकी कोई जानकारी अभी विभाग के पास नहीं है,




वहीँ अगर सूत्रों की माने तो इस पर प्रोफ़ेसर द्वारा दी गई ड्राफ्ट रिपोर्ट में लिखा गया है की “आपका निर्माणाधीन सम्पूर्ण ढांचा लगभग 70% अतिवृष्टि के कारण लाये गए मलवे में दब चुका है। जिसे आप उक्त चित्रों में भी देख सकते हैं। भू वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी आपका ढांचा एक shear plain यानी highly fractured चट्टानों के ऊपर निर्मित है। मुझे लगता है इस स्थान के चयन करने में विभाग से बड़ी चूक हुई है। जिसका परिणाम वित्तीय हानि के साथ साथ गाँव वालों को भी झेलना पड़ा। अतः मेरा सुझाव है कि भविष्य में ऐसे स्थानौ का चयन करने से पहले विषय विशेषज्ञयों की पुख्ता राए ले लेनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी ढांचा बनाने के बाद इस प्रकार बड़े नुकसान को न्योता ना देना पड़े”,
वहीँ इतना कुछ हो जाने पर स्थानीय ग्रामीणों व् जनप्रतिनधियों द्वारा विरेन्द्र प्रसाद, अधिशासी अभियन्ता, निर्माण शाखा, उत्तराखण्ड पेयजल निगम, पौड़ी पर कार्यभार ग्रहण करते ही जल जीवन मिशन कार्यक्रम के अन्तर्गत मनमानी करने व् भ्रष्टाचार किए जाने को लेकर शिकायत करते हुए कई गम्भीर आरोप लगाए गए….. जिसपर तत्कालीन पेयजल प्रबंध निदेशक एस सी पंत द्वारा जाँच किए जाने के आदेश भी जारी किए गए थे परन्तु हैरानी की बात है की इस जांच में भी क्या कुछ हुआ इसका आजतक कोई पता नहीं चल पाया है…..

ऐसे में बड़े सवाल उठ रहें है की कर्ज में डूबे इस प्रदेश में कब तक ऐसी बंदर बाँट चलती रहेगी? और प्रसाशन से लेकर साशन कब तक ऐसी बड़ी गलतियाँ करने वाले अधिकारियों को सह देता रहेगा? वहीँ जीरों टोलरेंस का दावा करने वाले सूबे के मुखिया धाकड़ धामी भी पांच दस हजार की रिश्वत लेने वाले कर्मचारियों की गिरफ्तारी होने पर “भ्रस्टाचार मुक्त सरकार” होने का दावा बड़े बड़े मंचों से करतें है परन्तु विकराल भ्रस्टाचार में चुप्पी साध जातें है…ऐसे में जनता भी अब मुखिया जी के धाकड़ होने पर संदेह कर रही है….
दीप मैठाणी की रिपोर्ट………..