दीप मैठाणी NIU ✍️ उत्तराखंड की बेटियां हमेशा से संघर्ष, मेहनत और प्रतिभा का प्रतीक रही हैं। पर्वतीय जीवन की तमाम चुनौतियों और सीमित संसाधनों के बीच जब कोई बेटी अपनी लगन और मेहनत से बड़ी सफलता हासिल करती है, तो वह न केवल अपने परिवार और गांव का बल्कि पूरे प्रदेश का गर्व बन जाती है। इसी कड़ी में टिहरी जनपद के ग्रामीण एवं दुर्गम क्षेत्र जौनपुर की सानिया बढ़ियाड़ी ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है।

सानिया ने कड़े परिश्रम और समर्पण के बल पर NEET परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करते हुए उत्तराखंड के जाने-माने राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में MBBS की सीट सुरक्षित की, और इस प्रकार राज्य की बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर उभरीं हैं। उनकी इस सफलता ने न केवल उनके गांव ख्यार्षी और परिवार का नाम रोशन किया है, बल्कि यह पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व का क्षण है।

संघर्षों के बीच उजला भविष्य
जौनपुर का इलाका भौगोलिक रूप से कठिन और संसाधनों से वंचित रहा है। यहां शिक्षा की बेहतर व्यवस्था और प्रतियोगी वातावरण का अभाव अक्सर बच्चों के सपनों को सीमित कर देता है। लेकिन सानिया ने इन सीमाओं को कभी अपनी राह में बाधा नहीं बनने दिया। उन्हें अपनी प्रारंभिक शिक्षा जौनपुर के थत्यूड़ से मिली उसके पश्चात देहरादून से पढ़ाई हासिल कर ये बड़ी सफलता हासिल की जिसके लिए उन्हें मसूरी में कांग्रेस के बड़े नेताओं द्वारा प्रेरणादायक सम्मान समारोह का आयोजन कर सम्मानित भी किया गया,

प्रदेश के लिए प्रेरणा
सानिया बढ़ियाड़ी की उपलब्धि यह साबित करती है कि मेहनत और दृढ़ निश्चय के सामने परिस्थितियां छोटी पड़ जाती हैं। ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाली इस प्रतिभाशाली बेटी ने दिखा दिया कि यदि संकल्प मजबूत हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।
सामाजिक संदेश
सानिया की इस सफलता से प्रदेश खासकर जौनपुर क्षेत्र की अन्य बेटियों को भी नई दिशा मिलेगी। यह उपलब्धि समाज को यह संदेश देती है कि बेटियां केवल परिवार की ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश और देश की धरोहर होती हैं। उन्हें उचित अवसर व प्रोत्साहन मिले तो वे हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकती हैं। सानिया की इस बड़ी कामयाबी की खबर से जौनपुर ही नहीं, पूरे उत्तराखंड में हर्ष और गर्व की लहर है। स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने भी उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल है जिसके लिए उन्हें पूरे सोशल मीडिया सहित धरातल पर भी सम्मान समारोह आयोजित कर सम्मानित किया जा रहा है

निष्कर्ष:
सानिया बढ़ियाड़ी ने यह सिद्ध कर दिया कि बेटियों के सपनों को उड़ान देने के लिए केवल विश्वास, परिश्रम और परिवार का सहयोग आवश्यक है। उनकी NEET में सफलता न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है बल्कि पूरा उत्तराखंड आज उन्हें गर्व से “अपनी बेटी” कह रहा है, वहीं उनके पिता अर्जुन बढ़ियाड़ी जोकि असम राइफल में तैनात हैं व देश सेवा में जुटें हैं व उनकी माता नीलम बढ़ियाड़ी जो की एक ग्रहणी हैं अपनी बिटिया की इस उपलब्धि पर खुद को गौरवंतित महसूस कर रहीं है।
सानिया बढ़ियाड़ी ने उनकी इस उपलब्धि पर इसका पूरा श्रेय अपने माता-पिता व परिजनों को दिया, उन्होंने कहा कि उनके ही आशीर्वाद व परिश्रम के बल पर उन्होंने आज ये उपलब्धि हासिल की है, उन्होंने कहा कि उनकी इस उपलब्धि में उनके पिता का सेना से जुड़ा कड़ा अनुशासन भी काम आया।।





