
दीप मैठाणी NIU ✍️
उत्तराखंड की धराली घाटी इस समय चार दिनों पूर्व आई प्राकृतिक आपदा के बाद कठिन दौर से गुजर रही है। चारों ओर मलबा, टूटी सड़कें, बिखरे घर और अनिश्चित भविष्य की चिंता के बीच, वहां के लोगों के मनोबल को संभालना ही सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे समय में जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राहत और पुनर्वास कार्यों का जायज़ा लेने पहुँचे, तो एक भावुक कर देने वाला दृश्य सामने आया, जिसने न केवल मुख्यमंत्री, बल्कि वहां मौजूद हर व्यक्ति के दिल को छू लिया।

धराली की एक बहन ने, जिसके घर-आंगन पर भी आपदा की चोट लगी थी, अपनी चुन्नी का एक टुकड़ा फाड़कर तुरंत ही उससे राखी बना दी। बिना किसी औपचारिक तैयारी और बिना किसी आभूषण के, प्रेम, सम्मान और भाईचारे का यह प्रतीक उनके हाथों से मुख्यमंत्री की कलाई पर बंध गया। यह कोई साधारण राखी नहीं थी, इसमें संकट की घड़ी में भी रिश्तों की मिठास, विश्वास और सुरक्षा का भाव समाया हुआ था।
मुख्यमंत्री धामी ने भावुक होते हुए कहा कि यह उनके जीवन की सबसे अनमोल और यादगार राखी है। उन्होंने वादा किया कि जैसे एक भाई अपनी बहन की रक्षा के लिए हर समय खड़ा रहता है, वैसे ही सरकार भी इस कठिन दौर में हर पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है। यह क्षण वहां मौजूद सभी लोगों के लिए करुणा, संवेदना और भरोसे की मिसाल बन गया।

धराली का यह दृश्य हमें याद दिलाता है कि त्योहार केवल जश्न का नाम नहीं होते, बल्कि हमारी आत्मा में बसी मानवीय संवेदनाओं को व्यक्त करने का सबसे सुंदर माध्यम हैं। राखी का असल अर्थ केवल धागा बाँधना नहीं, बल्कि सुरक्षा, विश्वास और प्रेम के उस बंधन को सहेजना है जो हर परिस्थिति में अटूट रहता है।
आपदा के मलबे में भी रिश्तों की यह खुशबू और मानवीय जुड़ाव की गर्माहट, हमारे समाज को यह संदेश देती है कि जब तक प्यार, विश्वास और एक-दूसरे का साथ है, तब तक कोई भी आपदा हमें तोड़ नहीं सकती।
रेस्क्यू अभियान में जुटे हुए समस्त विभागों के आला अधिकारियों व राहत बचाव दल के प्रत्येक जवान को प्रभु असीम शक्ति प्रदान करें।।