
रिपोर्टर- सुनील सोनकर
मसूरी के झड़ीपानी क्षेत्र में लगातार हो रहे भूस्खलन ने लोगों की ज़िंदगी को नारकीय बना दिया है। 15 सितंबर की रात मूसलधार बारिश के बाद शुरू हुआ ज़मीन का धँसना अब थमने का नाम नहीं ले रहा। हर दिन ज़मीन 2 से 3 फीट नीचे जा रही है, सड़कों में दरारें पड़ चुकी हैं और घरों की दीवारें भी अब खतरे में हैं। 15 सिंतबर को देर रात को आई आपदा में एक नेपाली मजदूर की मलबे में दबकर मौत के बाद भी अब तक न तो भू-वैज्ञानिक टीम पहुँची, न कोई आपदा राहत कार्य शुरू हुआ। लोग अब प्रशासन पर निष्क्रियता का आरोप लगा रहे हैं।
स्थानीय महिला सुशीला देवी कहती हैं कि हर बारिश के बाद घर छोड़कर भागना पड़ता है। अब तो बच्चों को स्कूल भेजना भी डरावना लगता है।” प्रेरणा भंडारी का कहना है कि सरकार चेक देकर चुप कराना चाहती है, हमें पैसों से ज़्यादा अपनी जान की सुरक्षा चाहिए। मुकुल सेमवाल और रतन सिंह ने बताया कि घर में नींद नहीं आती, पूरी रात बाहर खुले में बितानी पड़ रही है। उनका घर कभी भी भूस्खलन की चपेट में आ सकता है। सरकार को जल्द क्षेत्र को बचाने के लिये कदम उठाना चाहिये।
लोगों की साफ़ मांग है कि सरकार जल्द क्षेत्र में भू-वैज्ञानिक सर्वे जल्द हो, आरसीसी वॉल और चेक डैम का निर्माण शुरू किया जाए, अस्थाई पुनर्वास की व्यवस्था हो, क्षेत्र को आपदा संभावित घोषित किया जाए
सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप भंडारी का आरोप है कि नेताओं के दौरे सिर्फ फोटो तक सीमित हैं। असल में कोई राहत नहीं दी जा रही। अब स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन जल्द नहीं जागा तो आंदोलन होगा। सवाल उठ रहे हैं दृ क्या सरकार को किसी और बडे हादसे का इंतज़ार कर रही है?