
अक्सर हम दांतों में दर्द, मसूड़ों की सूजन या दांत टूटने जैसी समस्याओं को मामूली मानकर अनदेखा कर देते हैं। बहुत से लोग इसे बढ़ती उम्र या डेंटल हाइजीन की कमी से जोड़ते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये परेशानी आपकी हड्डियों के कमजोर होने का भी संकेत हो सकती है?
हर साल 20 अक्टूबर को “वर्ल्ड ऑस्टियोपोरोसिस डे” मनाया जाता है, ताकि लोगों को इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक किया जा सके। ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की हड्डियाँ धीरे-धीरे अपना घनत्व खोने लगती हैं और कमजोर हो जाती हैं। यही असर जबड़े की हड्डी पर भी पड़ता है — जो हमारे दाँतों को थामे रखती है।
जबड़े की हड्डी कमजोर होने लगती है
जब शरीर में कैल्शियम और मिनरल की कमी होती है, तो जबड़े की हड्डी पतली और नाजुक हो जाती है। इससे दांतों की जड़ें हड्डी में ठीक से टिक नहीं पातीं और दांत ढीले या टूटने लगते हैं। यह ऑस्टियोपोरोसिस का शुरुआती संकेत हो सकता है, जिसे नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए।
मसूड़े पीछे हटने लगते हैं
जब जबड़े की हड्डी अपना सहारा खो देती है, तो मसूड़े भी धीरे-धीरे नीचे की ओर खिसकने लगते हैं। इस स्थिति को “गम रिसेशन” कहा जाता है। इससे दांतों की जड़ें बाहर दिखने लगती हैं और ठंडा-गर्म लगना या संक्रमण जैसी दिक्कतें बढ़ जाती हैं।
डेन्चर पहनने वालों को भी परेशानी
जिन लोगों के दांत पहले से टूट चुके हैं और जो डेन्चर (कृत्रिम दांत) लगाते हैं, उनके लिए भी ऑस्टियोपोरोसिस समस्या का कारण बन सकता है। जबड़े की हड्डी के कमजोर होने से डेन्चर ठीक से फिट नहीं बैठता और बार-बार ढीला हो जाता है — यह हड्डियों के नुकसान का संकेत है।
क्या करें?
अपने भोजन में कैल्शियम, विटामिन D और विटामिन K2 से भरपूर चीजें शामिल करें।
नियमित रूप से वजन उठाने वाले एक्सरसाइज करें।
धूम्रपान और शराब से दूरी बनाए रखें।
समय-समय पर डेंटल चेकअप कराते रहें और डॉक्टर से अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य पर चर्चा करें।
याद रखें
दांतों और मसूड़ों की बार-बार होने वाली समस्या सिर्फ डेंटल नहीं, बल्कि ऑस्टियोपोरोसिस का शुरुआती संकेत भी हो सकती है। समय पर जांच और सही उपचार से न सिर्फ आपके दांत, बल्कि आपकी पूरी हड्डी प्रणाली को मजबूत बनाए रखा जा सकता है।
(साभार)