रिपोर्टर- सुनील सोनकर
मसूरी वन प्रभाग में इन दिनों कथित रूप से ‘गायब’ हुईं 7375 बाउंड्री मुनारों और वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की संपत्तियों को लेकर उठे सवालों ने खासा बवाल खड़ा कर दिया है। मीडिया में चल रही चर्चाओं को लेकर मसूरी वन प्रभाग के वन प्रभागीय अधिकारी (डीएफओ) अमित कुमार ने आज खुलकर बयान दिया और पूरे मामले की तथ्यात्मक सफाई पेश की।उन्होंने दो टूक कहा कि “ना तो मुनारे गायब हैं, ना कोई घोटाला हुआ है। जो खबर फैलाई जा रही हैं, वो पूरी तरह भ्रामक, अधूरी जानकारी और दुर्भावनापूर्ण मंशा से प्रेरित हैं।”
मुनारे गायब नहीं, दुर्गम और झाड़ीदार इलाकों में अस्थायी रूप से अनुपलब्धश् हैं:- डीएफओ
डीएफओ अमित कुवर ने कहा कि वर्ष 2023 में ही वन विभाग ने मसूरी वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाले लगभग 40,000 हेक्टेयर क्षेत्र में एक व्यापक सर्वेक्षण कराया था, जिसमें यह देखा गया कि कुल 7375 मुनारे (बाउंड्री पिलर्स) अनुलब्ध है तो उस समय फील्ड में दिखाई नहीं दिए, जिस पर अब सवाल उठाए जा रहे हैं। उन्होने कहा कि कई इलाके इतने घने जंगलों और झाड़ियों से ढके हैं कि मुनारों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। कहीं-कहीं तो भूस्खलन में पिलर्स दब गए हैं, और कई स्थान इतने दुर्गम हैं कि पहले टीम वहाँ जा ही नहीं पाई। इसका मतलब यह नहीं कि पिलर्स गायब हैं। डीएफओ ने बताया कि अब इस संबंध में एक डिटेल्ड रीसर्वे शुरू कराया गया है, जिसमें सर्वे ऑफ इण्डिया के नक्शों और जीपीएस कोऑर्डिनेट्स की मदद से मुनारों को चिन्हित कर उन्हें दोबारा स्थापित किया जा रहा है।
फील्ड रिपोर्ट्स और कर्मचारी डायरियों में नहीं मिला घोटाले का संकेत
अमित कुमार ने बताया कि विभाग के फील्ड स्टाफ की मासिक डायरियों में यह दर्ज होता है कि भ्रमण के दौरान किस क्षेत्र में कौन-सी मुनारें दिखाई दीं, कौन-सी क्षतिग्रस्त थीं, या कहाँ अतिक्रमण का संकेत मिला। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष की डायरियों में मुनारों की कोई विशेष कमी या छेड़छाड़ का जिक्र नहीं है। फिर भी, हमने फील्ड अधिकारियों की रिपोर्ट को भी इस जांच में जोड़ा है, ताकि स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो सके।”
“मुनारे गायब हैं इसलिए अतिक्रमण हुआ” यह तर्क पूरी तरह गलत है:- डीएफओ
मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि बाउंड्री पिलर्स की अनुपस्थिति के कारण वन भूमि पर अतिक्रमण हुआ। इस पर डीएफओ ने स्पष्ट किया कि कोई भी अतिक्रमण तभी माना जाएगा जब उसका पुख्ता सर्वे, नक्शों और राजस्व रिकॉर्ड से प्रमाण मिले। केवल पिलर्स अस्थायी रूप से न दिखने का मतलब यह नहीं कि अतिक्रमण हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2024 से अब तक विभाग ने 35.9 हेक्टेयर वन भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया है, जबकि 13.43 हेक्टेयर भूमि पर मुकदमा चल रहा है, इण्डियन फॉरेस्ट एक्ट के तहत है।
संपत्ति पर उठे सवालों को डीएफओ ने बताया “शरारतपूर्ण हमला”
मुनारों के मुद्दे के बीच कुछ रिपोर्ट्स में डीएफओ अमित कुवर की निजी संपत्तियों को लेकर सवाल उठाए गए। इस पर उन्होंने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि “मेरी और मेरे परिवार की सारी संपत्तियाँ स्वयं के वैध स्रोतों से अर्जित हैं। प्रत्येक वर्ष मेरी संपत्तियों का विवरण आईपीआर ( इमूवेबल प्रॉपर्टी रिटर्न) के तहत शासन को दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जो लोग मेरे खिलाफ साजिश कर रहे हैं, वे झूठी खबर फैलाकर मेरी निजी और पेशेवर छवि को नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। मैं इसके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी संपत्तियों का मुनारों या वन भूमि से कोई संबंध नहीं है और दोनों मुद्दे पूरी तरह स्वतंत्र हैं।
आगे क्या? एक्शन प्लान तैयार, कानूनी कार्रवाई भी होगी
डीएफओ ने बताया कि मुनारों को लेकर विभाग ने एक फेज-वाइज एक्शन प्लान तैयार किया है, जिसके तहत मुनारों को जीपीएस लोकेशन के आधार पर पुनः चिन्हित और स्थापित किया जाएगा सर्वे ऑफ इंडिया के नक्शे, फील्ड रिपोर्ट्स और स्थानीय रिकॉर्ड्स का मिलान किया जा रहा है वही अतिक्रमण के मामलों की जांच और विधिसम्मत कार्रवाई होगी वह झूठी खबरें फैलाने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।



