रिपोर्टर- सुनील सोनकर
मसूरी। उत्तराखंड की संस्कृति और प्रकृति प्रेम का प्रतीक पर्व हरेला इस बार मसूरी में एक नए जोश और उद्देश्य के साथ मनाया गया। केवल परंपरा नहीं, इस बार हरेला पर्व पर्यावरणीय चेतना और पारिवारिक जुड़ाव का संदेश लेकर आया। कांग्रेस भवन मसूरी में आयोजित कार्यक्रम में न केवल पौधों का वितरण हुआ, बल्कि उन्हें परिवार के सदस्य की तरह पालने की अनूठी अपील ने सबका ध्यान खींचा। कार्यक्रम में पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला ने उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हरेला पर्व केवल पौधा रोपने का त्यौहार नहीं है, यह भविष्य बोने का अवसर है। पौधा लगाकर फोटो खिंचवाना काफी नहीं, असली काम उसकी परवरिश है। जिस तरह हम अपने बच्चों को प्यार से बड़ा करते हैं, वैसे ही हर पौधे को पालना ज़रूरी है।” उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि हर साल हरेला पर लाखों पौधे रोपे जाते हैं, लेकिन उनमें से केवल 10 प्रतिशत पौधे ही जीवित रह पाते हैं। इसका मुख्य कारण है देखभाल की कमी और केवल दिखावे का वृक्षारोपण।
मसूरी कांग्रेस अध्यक्ष अमित गुप्ता ने लोगों से अपील की कि वे अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य के नाम पर एक पौधा लगाएं और उसका लालन-पालन उसी तरह करें जैसे अपने बच्चों का करते हैं। यह न केवल पर्यावरण की सेवा होगी, बल्कि नई पीढ़ी को प्रकृति से जोड़ने का एक गहरा मानवीय प्रयास भी होगा।
वहीं दूसरी ओर, महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी हरेला पर्व पर बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मसूरी के स्टर्लिंग रोड पर महिला कांग्रेस ने बड़े स्तर पर पौधरोपण अभियान चलाया। महिला कांग्रेस अध्यक्ष जसबीर कौर ने बताया कि हम हर साल हरेला पर्व पर पौधे लगाते हैं और उनकी देखरेख की भी जिम्मेदारी निभाते हैं । उन्होंने कहा कि केवल पौधे लगाना ही नहीं, बल्कि हर नागरिक को अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए। इसी उद्देश्य से कार्यक्रम में लोगों को कपड़े के थैले और डस्टबिन भी वितरित किए गए ताकि प्लास्टिक से मुक्ति और कचरा प्रबंधन को बढ़ावा मिल सके। उन्होने कहा कि उनके द्वारा हरेला पर्व पर मसूरी ने यह संदेश देने की कोशिश की कि प्रकृति से जुड़ना सिर्फ एक दिन का काम नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की जीवनशैली का हिस्सा होना चाहिए।



