
भागदौड़ और तनाव से भरी इस ज़िंदगी में कभी-कभी अचानक चक्कर आना या सिर घूमने जैसा महसूस होना आम बात लग सकती है। अक्सर लोग इसे कमजोरी, थकान या नींद की कमी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन अगर यह लक्षण बार-बार या बिना किसी स्पष्ट कारण के हो रहे हैं, तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है—जैसे कि वर्टिगो।
वर्टिगो क्या है?
वर्टिगो एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है कि उसके चारों ओर की दुनिया घूम रही है, जबकि वह खुद स्थिर होता है। यह सिर्फ सामान्य चक्कर नहीं है, बल्कि एक असंतुलन की स्थिति है जो व्यक्ति की दिनचर्या को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है।
यह समस्या आमतौर पर आंतरिक कान से जुड़ी होती है। हमारे कानों में एक जटिल प्रणाली होती है जो शरीर का संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। वर्टिगो का सबसे सामान्य रूप बीपीपीवी (बेनाइन पैरॉक्सिस्मल पोजिशनल वर्टिगो) होता है, जिसमें कान के अंदर मौजूद सूक्ष्म कैल्शियम कण अपनी जगह से हट जाते हैं और संतुलन बिगाड़ देते हैं।
वर्टिगो के सामान्य लक्षण
सिर की स्थिति बदलते समय अचानक चक्कर आना
बिस्तर पर करवट लेते या उठते समय सिर घूमना
संतुलन खो जाना या गिरने जैसा एहसास
आंखों का अनियंत्रित गति से हिलना (निस्टैग्मस)
मतली या उल्टी महसूस होना
ये लक्षण कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनट तक रह सकते हैं और व्यक्ति को असहज, घबराया और थका हुआ महसूस करा सकते हैं।
कब सतर्क होना जरूरी है?
यदि आपको बार-बार चक्कर आने, संतुलन बिगड़ने या उलझन जैसी समस्या हो रही है, तो इसे हल्के में न लें। हालांकि बीपीपीवी का इलाज संभव है, लेकिन कभी-कभी यह लक्षण किसी और बड़ी स्वास्थ्य समस्या जैसे स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर या न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का भी संकेत हो सकते हैं।
उपचार और समाधान
वर्टिगो का इलाज आमतौर पर बिना दवा के भी संभव है। डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा किया जाने वाला ‘एपली मैन्युवर’ (Epley Maneuver) एक प्रभावशाली तकनीक है, जिससे कान के अंदर खिसके हुए कणों को उनकी सही जगह पर वापस लाया जाता है। इस थेरेपी से अधिकांश मरीजों को कुछ ही सत्रों में राहत मिल जाती है।
इसके अलावा, कुछ मामलों में डॉक्टर दवाएं या विशेष व्यायाम भी सुझा सकते हैं।
निष्कर्ष:
बार-बार चक्कर आना सिर्फ एक साधारण लक्षण नहीं है। यह आपके शरीर द्वारा दिया गया संकेत हो सकता है कि कुछ गंभीर गड़बड़ी हो रही है। इसलिए, ऐसे लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द किसी कान, नाक, गला (ENT) विशेषज्ञ या न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह जरूर लें।
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