दुनियाभर में लगातार बढ़ता मोटापा अब सिर्फ गलत खानपान और भागदौड़ भरी दिनचर्या का नतीजा नहीं रह गया है। नई वैज्ञानिक रिपोर्टें बताती हैं कि बदलती जलवायु भी इंसानी वजन बढ़ने में एक छुपे हुए कारक की तरह काम कर रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, तापमान में हो रही बढ़ोतरी और वातावरण में बढ़ती कार्बन डाइऑक्साइड हमारे भोजन की गुणवत्ता को सीधे प्रभावित कर रही है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतें, जैसे कम शारीरिक गतिविधि, तनाव और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन तो मोटापे को बढ़ाते ही हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण हमारी रोजमर्रा की फसलों में भी पोषक तत्वों की मात्रा कम होने लगी है। परिणामस्वरूप लोग ज्यादा कैलोरी और कम पोषण वाला भोजन खा रहे हैं, जो धीरे-धीरे वजन बढ़ाने की स्थिति बना रहा है।
नीदरलैंड्स के वैज्ञानिकों की एक टीम ने बताया कि हवा में CO2 के बढ़ते स्तर से चावल, गेहूं, जौ और अन्य प्रमुख फसलों में शर्करा और स्टार्च का स्तर बढ़ रहा है, जबकि उनमें मौजूद प्रोटीन, आयरन और जिंक जैसे अहम पोषक तत्व घटते जा रहे हैं। इसका सीधा असर मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहा है क्योंकि ऐसी फसलें अधिक ऊर्जा देने वाली लेकिन कम पोषण मूल्य की बन रही हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, उच्च CO2 वाले इलाकों में उगाई गई फसलों में पोषक तत्वों की कमी 4% से लेकर 30% से अधिक तक दर्ज की गई। चावल और गेहूं जैसे मुख्य अनाज भी इससे बुरी तरह प्रभावित पाए गए, जबकि चने में मिलने वाले जिंक की मात्रा में तुलनात्मक रूप से सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई।
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि यह प्रवृत्ति जारी रही तो दुनिया के एक बड़े हिस्से के लिए पौष्टिक भोजन की उपलब्धता चुनौती बन सकती है। पोषण में कमी न सिर्फ मोटापा बढ़ाएगी, बल्कि प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने, क्रॉनिक बीमारियों के उभरने और संपूर्ण स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है।
विशेषज्ञ इस स्थिति को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहते हैं कि खाद्य सुरक्षा को केवल मात्रा के हिसाब से नहीं, बल्कि गुणवत्ता के आधार पर भी समझने की जरूरत है। अगर तुरंत समाधान नहीं खोजे गए तो बदलता मौसम मानव स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी समस्या बन सकता है।
