यूजीसी द्वारा तय समय सीमा पर सभी रिकॉर्ड दर्ज करने के निर्देश
19 नवम्बर को होगी डाटा अपलोडिंग को लेकर समीक्षा बैठक व कार्यशाला
देहरादून। प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में शैक्षणिक रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया जा रहा है। जिसके क्रम में सभी राजकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा निर्धारित समयसीमा के भीतर शैक्षणिक वर्ष 2021 से 2024 तक के समस्त शैक्षणिक दस्तावेज, क्रेडिट रिकॉर्ड और छात्रों की अपार आईडी से संबंधित डेटा डिजीलॉकर/एनएडी-एबीसी प्लेटफॉर्म पर अनिवार्य रूप से अपलोड करने के निर्देश दे दिये गये हैं, ताकि छात्र-छात्राओं को उनके शैक्षणिक दस्तावेज ऑनलाइन माध्यम पर उपलब्ध हो सके।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा संस्थानों में डिजिटल परिवर्तन को प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ा रही है। इसके तहत प्रदेभभर के राजकीय एवं निजी महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत सभी छात्रों के शैक्षणिक प्रमाणपत्र, क्रेडिट डेटा और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों को नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी (एनएडी) एवं अकैडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (एबीसी) पर अपलोड किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस डिजिटल व्यवस्था से छात्र-छात्राओं को किसी भी समय, कहीं पर भी अपने शैक्षणिक दस्तावेज ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सुलभ होंगे, जिससे पारदर्शिता, सुगमता और समय की बचत सुनिश्चित होगी।
डॉ. रावत ने बताया कि यूजीसी ने भी विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक रिकॉर्ड डिजीलॉकर पर दर्ज करने के लिए समय सीमा को बढ़ाकर 30 नवम्बर 2025 कर दिया है। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को इस समयसीमा का पूर्ण रूप से पालन करने, तथा वर्ष 2021-2024 तक के सभी छात्रों के दस्तावेज, आपार आईडी डेट और क्रेडिट रिकॉर्ड तत्काल एनएडी-एबीसी प्लेटफार्म पर अपलोड करने के निर्देश दिये गये हैं। विभागीय मंत्री ने बताया कि 19 नवम्बर 2025 को दून विश्वविद्यालय में एनएडी-एबीसी प्लेटफॉर्म पर डेटा अपलोडिंग की प्रगति की समीक्षा हेतु कार्यशाला एवं बैठक आयोजित की जाएगी। इसमें सभी विश्वविद्यालयों के परीक्षा नियंत्रकों, नोडल अधिकारियों एवं संबंधित तकनीकी कर्मियों को अद्यतन स्थिति रिपोर्ट और आवश्यक दस्तावेजों के साथ अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने को कहा गया है।
डॉ. रावत ने कहा कि केन्द्र सरकार की एनएडी-एबीसी प्रणाली न केवल विद्यार्थियों को डिजिटल शैक्षणिक पहचान उपलब्ध करवाती है, बल्कि क्रेडिट ट्रांसफर को भी अत्यंत सरल बनाती है। साथ ही यह नई शिक्षा नीति-2020 के प्रभावी और सफल क्रियान्वयन में भी महत्वपूर्ण है।




