
दीप मैठाणी NIU ✍️ देहरादून
धराली और थराली क्षेत्रों में हालिया आपदाओं तथा पौड़ी ज़िले में भूस्खलन और भारी बारिश ने उत्तराखंड की पर्यटन और तीर्थाटन व्यवस्था को गहरे संकट में डाल दिया है। चारधाम यात्रा, जो राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है, इस बार बुरी तरह प्रभावित हुई है।
जहां आमतौर पर यात्रा सीज़न में गाड़ियाँ यात्रियों और श्रद्धालुओं से खचाखच भरी रहती हैं, वहीं इस समय यात्रा मार्गों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। बद्रीनाथ–केदारनाथ धाम के साथ गंगोत्री और यमुनोत्री की ओर जाने वाले मार्गों पर यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज़ की जा रही है।

तीर्थाटन और पर्यटन उद्योग पर गहरा असर
मसूरी और नैनीताल जैसे पर्यटन स्थलों पर भी हालात सामान्य नहीं हैं। लंबे वीकेंड और छुट्टियों पर जहां होटल, गेस्टहाउस व कैंप पूरी तरह से भरे रहते थे, वहीं वर्तमान में अधिकांश होटल खाली पड़े हैं। कारोबारियों का कहना है कि बुकिंग कैंसिलेशन की बाढ़ सी आ गई है।
स्थानीय टैक्सी और ट्रैवल व्यवसायियों को रोज़गार की चिंता सताने लगी है। छोटे दुकानदारों और रेहड़ी वालों की हालत भी खस्ता हो चुकी है। जिन लोगों की आजीविका का मुख्य आधार तीर्थाटन और पर्यटन था, उन्हें अब रोज़मर्रा का खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है।

सरकार से उम्मीदें लेकिन राहत कब?
स्थानीय लोगों का कहना है कि अब सरकार ही उन्हें इस संकट से उबार सकती है। राज्य भर में आवाज़ उठ रही है कि सरकार प्रभावित क्षेत्रों के व्यवसायियों को आर्थिक सहायता दे, पर्यटन को पुनर्जीवित करने के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करे और अवरुद्ध यात्रा मार्गों को तत्काल दुरुस्त कराए।
प्रदेश की धामी सरकार ने फिलहाल हालात पर नज़र रखने और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत पहुंचाने की बात कही है। लेकिन पर्यटन एवं चारधाम यात्रा से सीधे तौर पर जुड़े लोगों का कहना है कि केवल तात्कालिक राहत से बात नहीं बनेगी, स्थायी समाधान और आर्थिक सहयोग की ज़रूरत है।
भविष्य को लेकर अनिश्चितता
उत्तराखंड का पर्यटन उद्योग ना सिर्फ़ राज्य की अर्थव्यवस्था बल्कि हज़ारों परिवारों की रोज़गार का आधार है। लगातार आपदाओं और मौसम के असामान्य मिजाज़ ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकार पर्यटन और तीर्थाटन के लिए सुरक्षित और स्थाई व्यवस्थाएं कर पाएगी।
फिलहाल, उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में लोग आस लगाए बैठे हैं कि हालात जल्द सुधरें और श्रद्धालुओं तथा पर्यटकों की आमद फिर से शुरू हो, वरना आने वाले दिनों में संकट और भी गहराने का डर है।
