
देहरादून NIU ✍️ उत्तराखंड प्रदेश भले ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने वाला देश भर में पहला राज्य बन गया हो परंतु यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर कई सामाजिक संगठन व राजनीतिक दल इसमें लाए गए कुछ नए प्रावधानों का खुलकर विरोध कर रहे हैं धरना प्रदर्शन से लेकर पदयात्रा तक इसके विरोध में आयोजित की जा रहीं हैं ऐसे में “समान नागरिक संहिता” के लिए ड्राफ्ट तैयार करने वालीं विशेषज्ञ कमेटी की सदस्य और दून विश्वविद्यालय की वीसी प्रो. सुरेखा डंगवाल के मुताबिक उत्तराखंड समान नागरिक संहिता के जरिए ना सिर्फ महिलाओं और बच्चों की सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा मजबूत हुई है। बल्कि इससे विवाह संस्था को भी मज़बूती मिलेगी । प्रो. सुरेखा डंगवाल ने बयान जारी करते हुए कहा कि उत्तराखंड समान नागरिक संहिता की भावना ही, लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करते हुए समता स्थापित करना है। उन्होने कहा कि अभी कई ऐसे मामले सामने आ रहे थे, जिसमें महिलाओं को पता ही नहीं होता था कि उनके पति की दूसरी शादी भी है। कुछ जगह धार्मिक पंरपराओं की आड़ में भी ऐसा किया जा रहा था। इस तरह अब शादी का पंजीकरण अनिवार्य किए जाने से, महिलाओं के साथ इस तरह का धोखे की सम्भावना न्यूनतम हो जाएगी। साथ ही इससे चोरी छिपे 18 साल से कम उम्र में लड़कियों की शादी की कुप्रथाओं पर रोक लग सकेगी। इससे बेटियां निश्चित होकर अपनी उच्च शिक्षा जारी रख सकती हैं।
बुजुर्गों और बच्चों को भी सुरक्षा…
प्रो. सुरक्षा डंगवाल के मुताबिक उत्तराखंड समान नागरिक संहिता में व्यक्ति की मौत होने पर उनकी सम्पत्ति में पत्नी और बच्चों के साथ माता पिता को भी बराबर के अधिकार दिए गए हैं। इससे बुजुर्ग माता पिता के अधिकार भी सुरक्षित रह सकेंगे। इसी तरह लिव इन से पैदा हुए बच्चे को भी विवाह से पैदा हुई संतान की तरह माता और पिता की अर्जित सम्पत्ति में हक दिया गया है। इससे लिव इन रिलेशनशिप में जिम्मेदारी का भाव आएगा, साथ ही विवाह एक संस्था के रूप में और अधिक समृद्ध होगा साथ ही स्पष्ट गाइडलाइन होने से कोर्ट केस में भी कमी आएगी।
प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा की भारत का संविधान दो वयस्क नागरिकों को अपनी पसंद से जीवनसाथी चुनने की अनुमति देता है। इसके लिए पहले से ही विशेष विवाह अधिनियम मौजूद है, इसमें भी आपत्तियां मांगी जाती है। अब इसी तरह कुछ मामलों में अभिभावकों को सूचना दी जाएगी। वहीं लव जिहाद की घटनाओं को रोकने के लिए पहले से ही धर्मांतरण कानून लागू है साथ ही उन्होंने कहा कि धार्मिक परंपराओं के नाम पर हलाला जैसी कुप्रथा और बहु विवाह जैसी विसंगतियों पर भी रोक लगेगी आधुनिकता के इस बदलते हुए दौर में हम कई सदी आगे निकल आए हैं ऐसे में आज के समय के हिसाब से हमें कानून बनाने होंगें जिसके लिए समान नागरिक संहिता बेहद जरूरी है।