
सिलक्यारा टनल हादसा अपडेट📣
पिछले 6 दिनों से रेस्क्यू अभियान को नहीं मिली सफलता,
PM से लेकर CM का विश्व गुरु बनने का दावा हुआ फुस्स,
विपक्ष भी अब ले रहा सरकार को आड़े हाथों,
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देहरादून, दीप मैठाणी ✍️
उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग हादसे को आज पूरे 6 दिन होने जा रहे हैं परंतु आज तक एक भी श्रमिक को बाहर निकाला नही जा सका है, हर आधुनिक मशीन के उपयोग से लेकर मॉक ड्रिल तक का दावा शासन प्रशासन द्वारा किया जा चुका है, परंतु बावजूद इसके अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है जिसके चलते पूरे उत्तराखंड सहित देशभर की नजरें इस हादसे पर बनी हुई है, हर कोई भगवान बद्री विशाल से हाथ जोड़कर इन श्रमिकों के लिए कुशलता की कामना कर रहा है,
घटनास्थल से एक के बाद एक मीडिया ब्रीफिंग की जा रहीं है परंतु कोई भी अधिकारी यह जवाब देने में सक्षम नहीं है कि आखिर वह कब इन श्रमिकों को बाहर निकाल सकेंगे ऐसे में अब चिंताएं बढ़ने लगी है, एक तरफ जहां हम विश्व गुरु बनने का दावा करते हैं वहीं 40 श्रमिकों को ना बचा पाने पर हमारी क्षमताओं पर भी अब सवाल उठने लगे हैं, अब इस मामले में विपक्ष भी हमलावर होता जा रहा है कल ही कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर प्रदेश में चल रही सुरंग निर्माण योजनाओं को तत्काल बंद करने की मांग की है साथ ही कुछ नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अव्यवस्थाओं के खिलाफ आवाज भी उठाई है,
आज 18 नवंबर तड़के की खबर यह है कि टनल हादसे से जुड़ी एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है।
सिलक्यारा टनल के निर्माण और व्यवस्था के प्रति लापरवाही की बातें लगातार सामने आ रही है। छठवें दिन निर्माण कंपनी को पता चला कि टनल के भीतर 40 नहीं बल्कि 41 मजदूर फंसे हुए हैं। आज अधिकृत रूप से जारी की गई मजदूरों की सूची में इसका खुलासा हुआ। ‘silkyara tunnel’
41 वें मजदूर के रूप में बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी दीपक कुमार पुत्र शत्रुघ्न पटेल की पहचान हुई है। दीपक को मिलाकर टनल में फंसे बिहार के मजदूरों की संख्या अब पांच हो गई है। सिलक्यारा सुरंग में पाइप टनल बनाकर अंदर फंसे मजदूरों तक जल्द पहुंचने की उम्मीदों को तब झटका लग गया, जब शुक्रवार सुबह साढ़े नौ बजे ऑगर मशीन में तकनीकी खराबी आ गई।
मशीन से मलबे के भीतर करीब 22 मीटर तक एस्केप टनल बना ली गई थी जबकि लगभग 40 मीटर काम बाकी था। इस मशीन को ठीक करने के साथ एहतियात के तौर पर इंदौर से एक और मशीन मंगाई जा रही है। इसके अलावा प्लान सी के तहत टनल के ऊपर से ड्रिलिंग कर मजदूरों तक पहुंचने का भी प्रयास किया जा सकता है। बचाव कार्यों के दौरान प्रभावित क्षेत्र में मलबा-बोल्डर आने से भी मुश्किलें आ रही हैं।
यमुनोत्री हाईवे पर चारधाम सड़क परियोजना के तहत बन रही सुरंग 12 नवंबर को अचानक धंस गई थी। इससे एक ओर सुरंग बंद है जबकि दूसरी ओर मलबा आने से कुल 41 मजदूर बीच में फंस गए। उन्हें निकालने के लिए प्रयास लगातार जारी हैं।
इस क्रम में शुक्रवार रात तक 900 एमएम व्यास के पाइपों की एस्केप टनल बनाकर श्रमिकों तक पहुंचने की उम्मीद थी,पर इसी बीच नई मुसीबत पैदा हो गई। मलबे में पाइप डालने को जगह बना रही मशीन में शुक्रवार सुबह तकनीकी खराबी आ गई। इससे काम रुक गया।
सूत्रों के अनुसार, टनल के प्रभावित क्षेत्र में लगातार मलबा गिर रहा है। मलबे से बचाने के लिए ऑगर मशीन को भी पीछे खींच लिया गया। इससे अंदर पहुंचने में कुछ और वक्त लग सकता है। बचाव कार्य देर रात तक थमे हुए थे।
एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खलको ने ड्रिलिंग प्रभावित होने की पुष्टि करते हुए कहा कि जल्द दोबारा काम शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम से जारी बुलेटिन के अनुसार, शुक्रवार सुबह 9.30 बजे तक मलबे में ड्रिल कर चार पाइप बिछा दिए गए थे।
पांचवां पाइप भी जोड़ लिया गया था, इसी दौरान काम बंद होने की सूचनाएं बाहर आने पर रेस्क्यू स्थल पर हलचल बढ़ गई। सूत्रों के अनुसार, मशीन के लगातार चालू रहने से हुए कंपन ने टनल में हलचल पैदा कर दी है। इससे मलबा ढीला होकर गिरना शुरू हो गया।
टनल में अब मशीन लगातार नहीं चलाई जाएगी। कुछ-कुछ घंटे का ब्रेक देते हुए ड्रिलिंग की जाएगी। अधिकारियों के अनुसार, मशीन के लगातार चलने की वजह से टनल के भीतर कंपन बढ़ रही है। यह भी ठीक नहीं है।
इसलिए अब से ऑपरेशन के दौरान मशीन को कुछ-कुछ समय का ब्रेक देते हुए चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सुबह 9.30 बजे तक 22 मीटर पाइप को ड्रिल कर दिया गया था। दो मीटर पाइप अभी बाहर है। पांचवें पाइप को जोड़कर तैयार कर लिया गया है।