
देहरादून NIU ✍️ मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को निचली अदालत से मिली 2 साल की सजा बरकरार रहेगी। सूरत की सेशन कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है। राहुल गांधी को इस केस में कोई राहत नहीं दी गई हैl
बता दें कि राहुल गांधी की ओर से आपराधिक मानहानि के इस केस में उनकी दोषसिद्धि (Conviction) पर रोक लगाने की मांग की गई थी। लेकिन कोर्ट ने दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए उन्हें सजा से कोई राहत नहीं देने का फैसला किया है। मानहानि केस में इस केस में 2 साल की सजा मिलने के चलते राहुल गांधी की संसद सदस्यता चली गई है। सजा से राहत नहीं मिलने के चलते यह उनके लिए फिलहाल बड़ा झटका है।
राहुल गांधी, केरल की वायनाड सीट से सांसद थे। लोक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में 2 साल या उससे अधिक की सजा मिलने पर व्यक्ति जनप्रतिनिधि बनने या बने रहने की योग्यता खो देता है। इसी प्रावधान के तहत लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म कर दी थी। सूरत सेशन कोर्ट के जज आरपी मोगेरा आज कोर्ट में आए और राहुल गांधी की याचिका पर कहा- डिसमिस यानी खारिज। कोर्ट ने निचली अदालत की सजा बरकरार रखी। अब बताया जा रहा है कि राहुल गांधी, गुजरात हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। कांग्रेस ने कहा है कि कानून के तहत जो भी विकल्प हमारे पास मौजूद हैं, हम उनका इस्तेमाल करेंगे। राहुल के वकील आरएस चीमा ने कोर्ट में तर्क दिया था कि टिप्पणी को लेकर मानहानि का केस उचित नहीं था और अधिकतम सजा की भी जरूरत नहीं थी। चीमा ने एक गवाह का बयान पढ़ते हुए कहा था कि मोदी जाति नहीं है, बल्कि गोसाई जाति है। गोसाई जाति के लोगों को मोदी कहा जाता है। और राहुल गांधी ने ललित मोदी, नीरव मोदी के रेफरेंस में बयान दिया था।
चीमा ने कहा था कि भाषण की भी जांच करनी होगी और यह देखना चाहिए कि शिकायतकर्ता पीड़ित व्यक्ति है या नहीं! कानून के मुताबिक पीड़ित व्यक्ति ही शिकायत कर सकता है। उन्होंने कहा था कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 389 में अपील लंबित होने पर सजा के निलंबन का प्रावधान है। कोर्ट को परिणामों पर विचार करना चाहिए।
वहीं, याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी ने कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा था कि राहुल गांधी बार-बार मानहानि वाला बयान देने के आदी हैं। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए राहुल गांधी ने एक मुख्य याचिका और दो आवेदन लगाए थे। मुख्य याचिका में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिस पर 3 मई को सुनवाई होनी है।
इसके अलावा अपने पहले आवेदन में राहुल ने सजा पर रोक (स्टे) की मांग की। कोर्ट ने इसी आवेदन पर विचार करते हुए केस में फैसला आने तक राहुल को अंतरिम जमानत दी।
दूसरे आवेदन में राहुल गांधी ने कन्विक्शन पर स्टे की मांग की, जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि दूसरे पक्ष को सुने बगैर आदेश पारित नहीं किया जा सकता। इसलिए कोर्ट ने गुजरात सरकार और पूर्णेश मोदी को नोटिस देकर कोर्ट में उनका भी पक्ष सुना। आज इसी मामले में फैसला आया। दरअसल ये मामला 2019 में कर्नाटक के कोलार में चुनावी रैली के दौरान दिए गए राहुल गांधी के बयान से जुड़ा है। इस बयान पर गुजरात के BJP विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस दाखिल किया था।