
श्रीहीन श्रीलङ्का
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आज श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राक्षपक्षे श्रीलंका छोड़कर पलायन कर गए। अभी तक उन्हें सेना मुख्यालय पर सुरक्षा में रखा गया था।
srilanka crisis
मुझे श्रीलंका की स्थिति देखकर फ्रांस की राज्यक्रांति स्मरण हो आती है, जब नंगे-भूखी जनता ने फ्रांस की राजशाही व्यवस्था से तंग आकर लुई चौदहवें का विरोध आरंभ किया था। लुई चौदहवें की घोषणा “मैं ही राज्य हूँ!” ने भूखी मरती जनता को और भड़काया। लुई पन्द्रहवें ने भी कोई सुधार नहीं किया, वह भी अपनी विलासिता में चूर रहा और फ्रांस को नोचता रहा।
लुई सोलहवें के आने के बाद फ्रांस की जनता बद से बदहाल हो गई। लूई सोलहवें ने अपनी सबसे सुंदर रानी एन्त्वानबेथ के लिए एक आलीशान महल बनाना शुरू किया और उसमें फ्रांस की जनता की चमड़ी नोच-नोचकर धन लगाना शुरू किया। जनता जब मरने लगी तो उसने घोषित विद्रोह शुरू कर दिया।
जब वे लुई सोलहवें के महल के आगे रोटी-रोटी चिल्ला रहे थे तो रानी ने कहा, “अगर रोटी नहीं है तो केक खाओ।” जनता की आँखों में ख़ून उतर आया। उसने वह आलीशान महल ढहा दिया और भागने की कोशिश में लगे लुई सोलहवें की हत्या कर दी।
श्रीलंका ने चीन की चालबाजी में फंसकर पहले उससे पाँच अरब डॉलर का कर्ज लिया, और फ़िर कर्ज चुकाने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार बेचा, सोना बेचा, और देशों से छोटे-छोटे कर्ज लिए। चीन का हाथ जिन भी देशों के ऊपर है यदि वे अभी तक बर्बाद नहीं हुए हैं तो हो जाएं क्योंकि यदि चीन की चाशनी में उन्होंने डुबकी लगाई तो एक दिन प्राण संकट में आने ही हैं। अगला नंबर पाकिस्तान का है।
श्रीलंका एक पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था है, पिछले तीन वर्षों की कोरोना महामारी ने पर्यटन का व्यवसाय नष्ट कर दिया है। साथ ही दो हज़ार उन्नीस के ईस्टर बम धमाकों ने श्रीलंका जाने से पर्यटकों को रोका। जिससे श्रीलंका की आय पर नकारात्मक असर हुआ। साथ ही श्रीलंका का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर खस्ताहाल है, वह छोटी से छोटी चीज के लिए आयात पर आधारित है। अब यदि धन ही नहीं होगा तो कहीं से कुछ खरीदा कैसे जा सकता है? जबकि आप पहले से इतने बड़े कर्ज में हैं।
श्रीलंका की सरकार ने आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के चक्कर में रासायनिक खादों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया, जिससे देश में खाद्यान्न की कमी हो गई और लोग भूखों मरने लगे।
और अंततः परिवारवाद ने श्रीलंका को बिल्कुल ही श्रीहीन कर दिया। श्रीलंका में एक ही परिवार के लोग विभिन्न पदों पर बैठे हैं और आश्चर्य इस बात का है कि वे अपना पद छोड़ने को तैयार नहीं है। आज श्रीलंका परिवारवाद का दंश झेल रहा है। परिवारवाद देश को कैसे तबाह कर सकता है श्रीलंका इसका उपयुक्त उदाहरण बन चुका है।
आज एक चित्र देखा। देखा कि श्रीलंका की जनता ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के घर पर कब्जा जमा लिया और उनके स्वीमिंगपूल में कूद-कूदकर नहा रहे थे। दूसरा चित्र था गोटाबाया राजपक्षे के चुपचाप कूच कर जाने का। क्योंकि जनता इतने गुस्से में है कि वो अपने राष्ट्रपति की हत्या करने से भी ना चूकती।
सालों से धीरे-धीरे भुखमरी की ओर जाती जनता ने सिंहासन खाली करा लिया। कहीं पढ़ा था मैंने कि अपने बच्चों का पेट भरने के लिए श्रीलंका की औरतों देह व्यापार की ओर तेजी से जा रही हैं। श्रीलंका के देह व्यापार में तीस प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि वहाँ देह व्यापार पर प्रतिबंध है।
महिलाएँ देह व्यापार की ओर क्यूँ जा रही हैं?
तीन बच्चों की एक माँ उत्तर देती है -“क्योंकि इसमें पैसे तुरंत मिल जाते हैं। और इस धंधे में काम की कभी कमी नहीं रहती।”
जब सरकार और व्यवस्था इतनी निकम्मी हो जाए कि देश की स्त्रियाँ अपनी देह बेचने पर मजबूर हो जाएं तो ऐसी सरकारों का पतन बहुत ज़रूरी हो जाता है।
फ्रांस की राज्यक्रांति आज श्रीलंका में दोहराई गई है। देखते हैं वहाँ शांति स्थापित हो पाती है या नहीं। या नेपोलियन सा कोई तानाशाह पैदा होता है।
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स्वतंत्र लेखिका “अंजलि ओझा”