
देहरादून NIU ✍️ बठिंडा सैन्य स्टेशन में चार सैनिकों की हत्या के एकमात्र गवाह होने का दावा करने वाले सेना के एक जवान को पंजाब पुलिस ने रविवार को गिरफ्तार कर लिया। जवान ने चार सैनिकों की हत्या करने की बात कबूल की है और मारे गए सैनिकों पर कुछ समय तक “शारीरिक रूप से प्रताड़ित” करने का भी आरोप लगाया है।
बठिंडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) गुलनीत सिंह खुराना ने कहा “कुर्ता-पायजामा में दो संदिग्धों को देखने का दावा करने वाले एकमात्र गवाह गनर देसाई मोहन को रविवार रात गिरफ्तार कर लिया गया। उसे आज अदालत में पेश किया गया हैं।”
यह पूछे जाने पर कि मोहन ने कथित रूप से चारों को क्यों मारा, खुराना ने कहा कि जवान ने दावा किया कि चारों द्वारा कुछ समय से उसका “शारीरिक शोषण” किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि सेना अपनी कोर्ट ऑफ इंक्वायरी कर रही है जबकि पुलिस समानांतर जांच कर रही है। एसएसपी खुराना ने कहा कि घटना के दिन ही एक अन्य जवान द्वारा की गई आत्महत्या को कथित हत्याओं से नहीं जोड़ा गया था और केवल मोहन ही इसमें शामिल था।
घटना 12 अप्रैल को हुई थी, जब पंजाब के बठिंडा मिलिट्री स्टेशन में फायरिंग की घटना में चार सैनिकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसे फ्रेट्रिकाइड का मामला माना जा रहा था।
हालांकि सेना ने आधिकारिक तौर पर दावा किया था कि इस घटना में कुर्ता-पायजामा में दो अज्ञात संदिग्ध शामिल थे, जो गवाह के बयान पर आधारित था। जैसा कि बताया गया है, पुलिस को मोहन के गवाह के बयान पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि घटनाओं की श्रृंखला नहीं जुड़ रही थी।
80 मीडियम रेजीमेंट के मेजर आशुतोष शुक्ला द्वारा दायर एक प्राथमिकी के अनुसार, गनर मोहन ने हत्या के बाद कुर्ता-पायजामा में दो नकाबपोश लोगों को देखने का दावा किया था। गोलियों की आवाज सुनकर मोहन ने ही मेजर शुक्ला को इसकी जानकारी दी थी। गनर मोहन, जो एकमात्र चश्मदीद गवाह था, ने मेजर शुक्ला को बताया कि अज्ञात हमलावरों में से एक इंसास (इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम) राइफल ले जा रहा था, जबकि दूसरे के पास कुल्हाड़ी थी। हालांकि, पोस्टमॉर्टम से पता चला था कि मारे गए चार सैनिकों में से किसी को भी कुल्हाड़ी से कोई चोट नहीं आई थी और सभी को इंसास राइफल से गोली मारी गई थी।