
आखिरकार गैरसैण विधानसभा गैर हो ही गई, निर्दलीय विधायकों की मांग पर लग गई मुहर, शीतकालीन सत्र विधानसभा का राजधानी देहरादून में होने जा रहा है, जिस पर आज आधिकारिक मुहर लग चुकी है, जिसका की शासनादेश भी आज जारी किया जा चुका है, ऐसे में प्रदेश की जनता सरकार से सवाल पूछ रही है कि जब ग्रीष्मकालीन सत्र राजधानी गैरसैण में करने का दावा करने के बाद भी वहां पर ग्रीष्मकालीन सत्र नहीं हुआ, उस राजधानी की जरूरत क्या है? बड़ी हैरानी की बात है कि प्रदेश को दो राजधानी तो दी गई, अलग-अलग जिलों में करोड़ों रुपए के खर्च से भवन निर्माण भी किए गए मगर बावजूद उसका उपयोग सही ढंग से नहीं किया जा रहा है। जनता के गणमान्य नागरिक आज सवाल पूछ रहे हैं की प्रदेश कर्जे में डूब रहा है आखिर क्यों नहीं सरकार इस नौटंकी को बंद कर एक ही राजधानी को स्थापित करती है? क्यों बेवजह की नौटंकी में करोड़ों रुपए प्रदेश के बर्बाद किए जा रहे हैं? वहीं इस बड़े सवाल से प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं आखिर क्यों पहाड़ की भावनाओं को आहत किया जा रहा है जब सभी जानते हैं की ग्रीष्मकालीन राजधानी देहरादून है और शीतकालीन गैरसैंण, तब क्यों नहीं सही जगह पर सही विधानसभा सत्र करवाए जा रहे हैं?