
रिपोर्ट-मुकेश बछेती, पौड़ी
जिला मुख्यालय पौड़ी के पूर्ति कार्यालय पर न्यायालय की गाज गिरते गिरते बच गई। शुक्रवार को न्यायालय के आदेश पर टीम पूर्ति विभाग को सीज करने के लिए पहुंची। लेकिन एक मामले में विभाग की सही कार्यशैली व उच्चाधिकारियों के आग्रह पर टीम को वापस लौटना पड़ा। हालांकि विभाग द्वारा इस मामले में न्यायालय में कुछ दिनों की मोहलत मांगी गई है।
दरअसल अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय वर्ष 1995-96 में पूर्ति विभाग के द्वारा बीरोंखाल ब्लाक के पौखाल गोदाम को प्रेमसिंह से किराये पर लिया गया था। काफी साल तक प्रेम सिंह की निजी भवन में संचालित होने के बाद यह गोदाम प्रेम सिंह पत्नी चंद्रादेवी के नाम हो गया। इस पर भवन स्वामी प्रेम सिंह और चंद्रादेवी ने भवन किराये में वृद्धि को लेकर पूर्ति विभाग के साथ पत्राचार किया। लेकिन किराया वृद्धि तो नहीं हो सका पर विभाग ने अपना गोदाम अन्यंत्र स्थापित कर लिया। जिस पर भवन स्वामी प्रेम सिंह व पत्नी चंद्रादेवी ने किराया भुगतान करने हेतु न्यायालय की शरण ली। न्यायालय ने इस मामले में भवन स्वामी के पक्ष को सही करार दिया। न्यायालय ने प्रेम सिंह को 2 लाख 12 हजार 180 रूपये तथा चंद्रादेवी को 95 हजार 132 रूपये का भुगतान करने के आदेश दिये। भुगतान नहीं करने की दशा में न्यायालय ने कार्यालय को सीज करने के भी आदेश दिये।
जिस पर शुक्रवार को अपर जनपद न्यायाधीश कोटद्वार के आदेश पर न्यायालय के प्रशासनिक अधिकारी व उपसाध्यपाल सुनील सुंद्रियाल पहुंचे। उन्होंने बताया कि इस मामले में विभाग को बीते 26 सितंबर को को नोटिस जारी किया गया था। उन्होंने बताया कि विभाग ने इस मामले में चंद्रादेवी को 95 हजार132 के सापेक्ष 63 हजार 600 का भुगतान किया है। वहीं विभाग के उच्चाधिकारियों ने प्रेम सिंह के 2 लाख 12 हजार 180 की धनराशि के लिए कुछ समय और मांगा है। जिस पर कार्यालय पर की जाने वाली कार्रवाई भुगतान ना किए जाने पर ही हो सकेगी।