
दीप मैठाणी ✍️
डॉ. संजय कुमार निषाद मंत्री मत्स्य विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष, निषाद पार्टी, द्वारा पूर्व में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को पत्र लिखा गया है इसी संदर्भ में आज लखनऊ के रविंद्रालय चारबाग में संविधानिक आरक्षण प्राप्ति समर्थन कार्यक्रम आयोजित किया जाना है, आप भी पढ़िए क्या कुछ लिखा गया है डॉक्टर संजय निषाद द्वारा दिए गए पत्र में, और क्या है संविधानिक आरक्षण प्राप्ति समर्थन कार्यक्रम👇
माननीय मुख्यमंत्री जी.
सादर अवगत कराना है कि 29 अगस्त 1977 के शासनादेश में भारत सरकार के संविधान में सूचीबद्ध अनुसुचित जाति के 66 जातियों के समूह का उल्लेख किया गया है जिसकी सूची नं0-1 संलग्न है। सन् 1961 में सेन्सस ऑफ इण्डिया 1961 एपेनडिस्क टू सेन्सस मैनुअल पार्ट (एक) उत्तर प्रदेश में उल्लेख किया गया है कि केन्द्र सरकार से इन अनुसूचित जातियों के समूह के पर्यायवाची व जेनरिक नामों
का जनगणना करने के सम्बन्ध में जारी है। जिसकी सूची सरकार द्वारा प्रकाशित है जिसमें अनुसूचित जातियों के नाम के आगे उनके प्रर्यायवाची और जेनेरिक नाम दिए गये हैं। इस सम्बन्ध में क्रम संख्या 57 पर पासी की भर, राजभर, 51 पर मझवार की पर्यायवाची जेनेरिक नाम केवट, मल्लाह आदि क्रम संख्या आदि और क्रम संख्या 63 पर शिल्पकार में प्रजापति कुम्हार आदि उल्लेखित हैं तथा उसके गाइड लाइन जिन बिन्दुओं के आधार पर बनाए गए है, उसमें उनका जो व्यवसाय है फिशरमैन, क्राफ्टमैन, हण्टर, फारेस्टिव आदि उल्लिखित है, जिसमें सूची नं0-2 संलग्न है। उपरोक्त आशय का पत्र दिनांक 18-12-2021 को दिया गया और देश के अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जन जातियों के व्यक्तियों को उनके उपनाम, सरनेम लगाने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है, जिसमें सूची नं0 3 संलग्न है। इसी क्रम में दिनांक 20-12-2021 को आप द्वारा रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इण्डिया जनगणना आयुक्त भारत सरकार, नई दिल्ली से मझवार जाति को उनके पर्यायवाची उपनाम को मझवार अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र जारी करने की दिशा निर्देश और मार्गदर्शन की माँग किया गया, जिसमें सूची नं0-4 संलग्न है। जिसके क्रम में विशेष सचिव महारजिस्ट्रार जनगणना, भारत सरकार के पत्र दिनांक 18-01-2022 को उत्तर प्रदेश अनुसूचित जति मझवार के पर्यायवाची उपनाम के विषय में सहकारिता एवं सामाजिक न्याय मंत्रालय, भारत सरकार को एक पत्र लिखा कि जनगणना विभाग उत्तर प्रदेश के सन् 1961 में सेन्सस ऑफ इण्डिया 1961 एपेनडिस्क टू सेन्सस मैनुअल
पार्ट (एक) उत्तर प्रदेश में उपरोक्त पर्यायवाची उपनाम उपजातियां क्रम संख्या-51 पर मझवार की पर्यायवाची
जाति केवट, मल्लाह आदि का नाम अंकित है, जिसमें सूची नं0-5 संलग्न है। 30 सालों से उनके हक अधिकार न मिलने से ये जातियां समाज व विकास की मुख्य धारा से पिछड़ते चले गये। पिछली सरकार ने जाते-जाते दिनांक 31-12-2016 को राज्यपाल द्वारा अधिसूचना जारी कर उपरोक्त जातियों को पिछड़ी जाति से निकाल दिया, जिसमें सूची नं0-6 संलग्न है। जबकि सन् 1961 में सेन्सस ऑफ इण्डिया 1961 एपेनडिस्क टू सेन्सस मैनुअल पार्ट (एक) सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों की सूची जो प्रकाशित है, उसमें उपरोक्त जातियाँ पूर्ववत् सम्मिलित हैं। यहाँ यह कहना न्याय संगत होगा कि उपरोक्त जातियाँ अनुसूचित जाति से हुए उपरोक्त
हैं एवं उपरोक्त सेन्सस रिपोर्ट एवं केन्द्र सरकार के अनुसूचित जातियों की सूची को देखते जातियों को मझवार, तरमाली पासी, शिल्पकार का अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र निर्गत कराया जाना न्याय संगत होगा।
आप अवगत हैं कि आरक्षण के मुददे का मामला केन्द्र सरकार द्वारा हल किया जाता है।
उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश का पार्ट रहा है जहां पर शासनादेश के माध्यम से बताया गया कि संविधान में सूचीबद्ध शिल्पकार जाति नहीं बल्कि जातियों का समूह है। तहसील स्तर पर शिल्पकार के उपजातियों के
समूह को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र नही दिया जाता था। ऐसे में उत्तराखण्ड सरकार ने शिल्पकार के
पर्यायवाची जातियों (कुम्हार, प्रजापति आदि) का वर्णन करते हुए शासनादेश जारी करके उनको शिल्पकार अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है, जिसमें सूची नं0-7 संलग्न है। उत्तर प्रदेश में भी मामला परिभाषित करने का ही है क्योंकि जब एक बार राष्ट्रपति एवं केन्द्र सरकार ने मान लिया कि केवट, मल्लाह आदि मझवार है तो इस समय उत्तर प्रदेश में हमे पिछड़ी जाति में शामिल किया गया जो गैर संवैधानिक है। उपरोक्त जातियों को पिछड़ी से हटाकर और केन्द्र सरकार संसद या सहकारिता एवं
सामाजिक न्याय मंत्रालय से संवैधानिक एवं न्यायोचित तरीके से मझवार, तुरैहा, पासी, शिल्पकार जाति को परिभाषित करके उनके पर्यायवाची उपनाम केवट, मल्लाह, बिन्द, कहार, कश्यप, तुरैहा, बाथम, रैकवार, धिवर, प्रजापति, भर, राजभर आदि को अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र उत्तर प्रदेश में दिलाने की कृपा करें। जिससे कि इन जातियों को संवैधानिक संरक्षण तथा सुरक्षा मिल सके तथा इस समाज को भी विकास की मुख्य धारा में लाया जा सके।
उपरोक्त आरक्षण संबंधित मुद्दे को सांसद ई. प्रवीण निषाद द्वारा केंद्र सरकार के सहकारिता एवं सामाजिक न्याय मंत्रालय में मझवार से संबंधित उत्तर प्रदेश के संबंध में जवाब मांगा गया था। जवाब में 26 जुलाई 2022 को माननीय मंत्री ए. नारायण स्वामी ने लिखित रूप से जवाब दिया है कि मझवार 1950 से ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अनुसूचित जाति में अधिसूचित है और इनके उपनाम / पर्यायवाची / सीनोनिम्स के लोगों को राज्य सरकार जांच कराएं और इनका अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र जारी करें तथा अनुसूचित जाति की सुविधा प्रदान करें।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि इन पुकारू पर्यायवाची उपनाम केवट, मल्लाह, बिन्द, कहार, कश्यप, तुरैहा, बाथम, रैकवार, धिवर, प्रजापति, भर, राजभर आदि जातियों को उत्तर प्रदेश सरकार में मझवार, तुरैहा, पासी, शिल्पकार जाति के नाम से अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र निर्गत कराया जाए जो सरकार की मंशा है। कृपया केन्द्र सरकार से आप माननीय जी मांग रखकर इन जातियों को संसद या सहकारिता एवं सामाजिक न्याय मंत्रालय से परिभाषित कराकर इनके मूल जातिव समूह मझवार, तुरैहा, पासी, शिल्पकार अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र निर्गत कराए जाने की कृपा करें।
डा. संजय कुमार निषाद, मत्स्य मंत्री