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सफेद हाथी बने “मौसम डॉपलर रडार”, तीन रडार कई दिनों से ठप्प, जनमानस आपदाओं से बेहाल, मौसम विभाग की नहीं कोई जिम्मेदारी? । NIU

सफेद हाथी बने “मौसम डॉपलर रडार”, तीन रडार कई दिनों से ठप्प, जनमानस आपदाओं से बेहाल, मौसम विभाग की नहीं कोई जिम्मेदारी? । NIU

दीप मैठाणी, देहरादून NIU ✍️ पिछले कई दिनों से मुक्तेश्वर, सुरकंडा (टिहरी), और लैंसडाउन तीनों मौसम डॉपलर रडार के बंद रहने की वजह से मौसम पूर्वानुमान और आपदा से जुड़ी सतर्कता व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं, अतिवृष्टि के चलते आ रही आपदाओं का पूर्व में अंदाजा ना लगा पाना भी इसका यह एक बड़ा कारण हो सकता है…

डॉपलर रडार की अहमियत…
डॉपलर मौसम रडार बारिश, आंधी, तूफान, ओलावृष्टि और तेज हवाओं जैसे खतरनाक मौसम की घटनाओं का रियल टाइम में पता लगाने के लिए सबसे जरूरी उपकरण हैं।
इनकी मदद से बादलों की दिशा, घनत्व, पानी की बूंदों की गति और क्षेत्र में होने वाले तापमान व हवा के तेवर जल्दी और सटीक पता चल पाते हैं।
उत्तराखंड जैसे संवेदनशील और आपदा प्रवण इलाकों में यह अलर्ट सिस्टम जानमाल की सुरक्षा के लिए अनिवार्य हो गया है।

तीनों डॉपलर रडार क्यों हैं महत्वपूर्ण?
राज्य के मुक्तेश्वर, सुरकंडा (टिहरी), और लैंसडाउन में स्थापित डॉपलर रडार राज्य के पर्वतीय और मैदानी हिस्सों की सटीक मौसम निगरानी करते हैं।
इन तीनों की मदद से चारधाम यात्रा मार्ग, सीमांत क्षेत्र और संवेदनशील इलाकों की आपदा पूर्व चेतावनी मजबूत होती है।

रडार बंद होने का असर रिपोर्ट्स के अनुसार,

बीते कुछ दिनों से सभी तीनों डॉपलर रडार बंद होने की वजह से मौसम डाटा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
इसका सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ है कि आईएमडी (मौसम विभाग) के अधिकारी और आपदा प्रबंधन से जुड़े विभाग उचित मौसम अलर्ट या रियल टाइम पूर्वानुमान ठीक से नहीं दे पा रहे हैं।

इससे:

★भारी बारिश, बर्फबारी या बादल फटने जैसी घटनाओं के अलर्ट धीमे पड़ गए हैं।

★पर्वतीय/सरहदी इलाकों और चारधाम यात्रा मार्ग पर खतरा बढ़ गया है।

★लोकल प्रशासन और राहत दलों को एक्यूरेट अलर्ट नहीं मिल पा रहा है।

★किसान, ट्रैवलर्स, आर्मी, और आम नागरिक असमंजस में हैं।

संभावित कारण और विभागीय प्रतिक्रिया, सितंबर 2025 में बंदी की स्पष्ट वजह सामने नहीं आई है।

हमने पूर्व में भी चेताया था ☝️☝️

आमतौर पर तकनीकी खराबी, मेंटेनेंस या नेटवर्क अपग्रेड जैसी दिक्कतें रडार के बंद होने की वजह बनती हैं।
फिलहाल आईएमडी या स्थानीय मौसम केंद्रों की ओर से कोई विस्तृत आधिकारिक बयान सार्वजनिक रूप से नहीं मिला है।क्या चाहिए समाधान?
रडार सिस्टम को जल्द ठीक कर पुनः चालू किया जाना चाहिए और मेंटेनेंस स्टाफ की संख्या बढ़ाई जाए ताकि भविष्य में ऐसी समस्या दोहराई न जाए।
विभाग को पारदर्शी ढंग से अपडेट जारी करने चाहिए ताकि जनता और प्रशासन को सही सूचना मिलती रहे।

आमतौर पर तकनीकी खराबी, मेंटेनेंस या नेटवर्क अपग्रेड जैसी दिक्कतें रडार के बंद होने की वजह बनती हैं।
फिलहाल आईएमडी या स्थानीय मौसम केंद्रों की ओर से कोई विस्तृत आधिकारिक बयान सार्वजनिक रूप से नहीं मिला है।क्या चाहिए समाधान?
रडार सिस्टम को जल्द ठीक कर पुनः चालू किया जाना चाहिए और मेंटेनेंस स्टाफ की संख्या बढ़ाई जाए ताकि भविष्य में ऐसी समस्या दोहराई न जाए।
विभाग को पारदर्शी ढंग से अपडेट जारी करने चाहिए ताकि जनता और प्रशासन को सही सूचना मिलती रहे।

निष्कर्ष:
तीनों डॉपलर रडार के बंद रहने से उत्तराखंड, पर्वतीय क्षेत्रों और अन्य प्रभावित क्षेत्रों में मौसम निगरानी और आपदा तैयारी कमजोर हुई है, जिसे जल्द दूर करने की जरूरत है

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