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पहाड़ में पहाड़ जैसा जीवन जीने को मजबूर ग्रामीण, खुद ही कर रहें हैं अपने नौनिहालों लिए व्यवस्था, मूकदर्शक बने स्थानीय जनप्रतिनिधि । NIU

पहाड़ में पहाड़ जैसा जीवन जीने को मजबूर ग्रामीण, खुद ही कर रहें हैं अपने नौनिहालों लिए व्यवस्था, मूकदर्शक बने स्थानीय जनप्रतिनिधि । NIU

देहरादून, दीप मैठाणी ✍️NIU सरकारी योजनाएं पांच सितारा होटलों में बनाई जाती हैं और वहीं ये योजनाएं दम भी तोड़ देती हैं, आम जनमानस इन योजनाओं के लिए दर-दर भटकने को मजबूर होता चला जाता है, परंतु ना तो योजनाओं का लाभ मिलता है और नाही मूलभूत सुविधाएं… हम ऐसा क्यों लिख रहे हैं इसकी बानगी इस वीडियो में देखिए👇

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ये ग्रामीण धनोल्टी विधानसभा के ग्राम सभा गवांणा-डामणी के निवासी हैं जहां इनके पास मूलभूत सुविधाओं तक का अभाव है सरकारें दावा करती है कि उन्होंने गांव-गांव तक सड़के पहुंचा दी हैं, परंतु आप तस्वीरों में साफ देख सकते हैं कि इनके पास नदी पार करने के लिए एक अदद पुल तक नहीं है, कामचलाऊ पुल से काम चलाया जा रहा है और बड़ी बात है कि यह काम चलाओ पुल भी ग्रामीणों द्वारा खुद ही बनाया गया है। स्थानीय विधायक प्रीतम पंवार तक ने इन ग्रामीणों की सुध नहीं ली, रोजाना इस कामचलाउ पूल से डेढ़ सौ से लेकर 200 बच्चे भवान स्थित इंटर कॉलेज व अन्य स्कूलों में आवाजाही करते हैं।

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परंतु कोई भी इन ग्रामीणों की सुध लेवा नहीं है, कठोर पहाड़ में, पहाड़ जैसा जीवन जीने को मजबूर है ये ग्रामीण।जब शासन प्रशासन द्वारा इनकी सुध नहीं ली गई तो ग्रामीणों ने खुद ही इस कामचलाऊ पुल को तैयार किया और आवाजाही के लिए मार्ग खोला परंतु वर्तमान में चल रही मूसलाधार बारिश से यह पुल कितने दिन तक टिक पाएगा? यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है और कब इस कामचलाऊ पुल से इन्हें निजात मिलेगी और एक स्थिर पुल मिल सकेगा यह भी सोचनीय विषय है।

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फिलहाल ग्राम सभा गवांणा डामणी और भवान को जोड़ने वाली घुचु नदी में ग्रामीण इस कामचलाऊ पुल से अपनी जान हथेली में रख रोजाना सफर कर रहे हैं, दोष सिर्फ विधायक का ही नहीं है बल्कि विधायक से इतर ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष व ग्राम प्रधान जैसे कई जनप्रतिनिधि भी इस मामले में उदासीन बने हुए हैं और मासूम बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, उम्मीद करते हैं कि जल्द स्थानीय जनप्रतिनिधि इनकी सुध लेंगे और इनके लिए सुचारू व्यवस्था करेंगे।

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