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टिहरी: आपदा प्रबंधन पर उठे सवाल, बीते छ दिनों में भी इन गांवों तक नहीं पहुंची मदद, बदहाल ग्रामीणों ने सुनाई व्यथा । NIU

टिहरी: आपदा प्रबंधन पर उठे सवाल, बीते छ दिनों में भी इन गांवों तक नहीं पहुंची मदद, बदहाल ग्रामीणों ने सुनाई व्यथा । NIU

दीप मैठाणी, संपादक NIU ✍️ देहरादून और आसपास का क्षेत्र इस समय अतिवृष्टि के भीषण संकट से ग्रस्त है। पहाड़ से मैदान तक इस प्राकृतिक आपदा का असर साफ दिखाई दे रहा है, लेकिन कई ऐसे गांव हैं जो आज भी प्रशासन की नजरों से दूर हैं। इनमें प्रमुख है टिहरी गढ़वाल का ग्राम गोठ/सकलाना, जो धनोल्टी से लगभग 8 किलोमीटर और देहरादून से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। धनोल्टी विधानसभा का यह गांव प्रशासन की अनदेखी का शिकार हो रहा है, अभी तक इन ग्रामीणों के पास ना तो स्थानीय विधायक के कोई प्रतिनिधि पहुंचे ना ही प्रशासन से कोई अधिकारी।

छह दिनों से प्रशासन की अनुपस्थिति
ग्रामीणों का कहना है कि अतिवृष्टि को घटित हुए छह दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक प्रशासन का कोई भी अधिकारी उनकी सुध लेने गांव तक नहीं पहुंचा। गांव तक आने वाला सड़क मार्ग भारी बारिश के कारण पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है, जिससे न तो प्रशासनिक टीमें गांव पहुंच पा रही हैं और नाही ग्रामीण बाहर आकर अपनी पीड़ा साझा कर पा रहे हैं।


फसल और खलिहान बह गए
अतिवृष्टि का सबसे मार्मिक असर कृषि पर देखने को मिला है। ग्रामीणों की मेहनत से उपजी फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। खेत और खलिहान पानी व मलबे की भेंट चढ़ गए हैं। ग्रामीणों के पास अब न तो खाने का पर्याप्त सामान है और न ही पशुओं के चारे की कोई व्यवस्था बची है।

स्वास्थ्य सेवा और राशन की किल्लत
सड़क मार्ग टूटने के कारण गांव में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं। बीमार और बुजुर्ग लोग उपचार के अभाव में गंभीर संकट से जूझ रहे हैं। वहीं, राशन व पीने के पानी की भारी किल्लत ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

नजदीकी गांव भी प्रभावित
गोठ/सकलाना के अलावा आसपास के भूत्सी, रवालीं और जमठियाल गांव भी अतिवृष्टि से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इन गांवों के रास्ते टूट गए हैं, जिससे छात्र-छात्राओं का स्कूल तक पहुंचना भी चुनौती बन गया है। कई बच्चों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ रहा है।

ग्रामीणों ने खुद उठाई जिम्मेदारी
प्रशासनिक मदद का अब तक कोई ठोस कदम न दिखने पर ग्रामीणों ने स्वयं ही पहल की है। लोग अपने स्तर पर टूटे हुए पहाड़ी रास्तों की मरम्मत में जुट गए हैं। यह ग्रामीण मजबूरी में खुद ही आपदा राहत कार्य कर रहे हैं, जबकि सरकार और प्रशासन आपदा पीड़ित हर व्यक्ति तक पहुंचने का दावा कर रहे हैं।

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राहत कार्य में जुटे ग्रामीण

प्रशासनिक दावों की पोल खुली
देहरादून और टिहरी के इस सीमांत क्षेत्र में स्थिति यह है कि आपदा प्रबंधन के सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन जल्द मदद नहीं पहुंचाता तो हालात और भयावह हो सकते हैं।

NIU ने स्थानीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार से इस बाबत वार्ता की उन्होंने आश्वासन दिलाया कि जल्द से जल्द वहां मदद भेजी जा रही है, सड़क मार्ग अवरूद्ध होने के कारण परेशानियां बढ़ी है परंतु हर चुनौती का सामना किया जा रहा है।

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