दीप मैठाणी, देहरादून ✍️NIU उत्तराखंड में पत्रकारिता का अजब गजब हाल है, यहां अगर आप धनबल से मजबूत नहीं तो कोई बाहुबली अगर आप की हत्या भी कर दे तो एक लाइन की खबर भी नहीं छप सकती, देहरादून में कई नामी गिरामी अखबारों के कार्यालय हैं उनके रिपोर्टर- फोटोग्राफर दिन भर सड़कों पर घूम-घूम कर रिपोर्ट लिखते हैं और फोटो खींचते हैं लेकिन अखबार में उन खबरों को स्थान नहीं मिल पाता जो खबर किसी पीड़ित, शोषित या वंचित व्यक्ति या समूहों से जुड़ीं हों।
ताजा मामला जुड़ा है राज्य के एक दर्जाधारी कथित मंत्री से, जी हां बिल्कुल सही पढ़ा आपने “कथित मंत्री” एक किन्नर जिसकी गुंडई, मारपीट जैसे कारनामों की लंबी फेहरिस्त हो वो किस लिहाज से दर्जाधारी मंत्री बन सकता है? वो भी समाज कल्याण विभाग का मंत्री, यह अपने आप में बड़ा सवाल है,
हम यहां बात कर रहे हैं किन्नर रजनी रावत की जिन्हें अमूमन मैडम रजनी रावत कहकर संबोधित किया जाता है,
उनपर आरोप है कि विगत दिवस पूर्व किन्नरों का एक समूह जो की रजनी रावत से जुड़ा हुआ नहीं है वो सहस्त्रधारा घूमने के लिए निकला था लेकिन बीच रास्ते में ही रजनी रावत और उनके गुंडो ने उन्हें रोक लिया और गाड़ी से खींचकर हॉकी व बेसबॉल के डंडों से उन पर जोरदार हमला किया जिसमें कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं दो लोगों के तो पैर तक तोड़े गए हैं,
परंतु इंसाफ मिलना तो दूर की बात पुलिस ने खानापूर्ति करते हुए मामूली धाराओं में एफआईआर लिख किनारा कर लिया, गंभीर धाराओं में एफआईआर लिखना तो बड़ी बात किन्नर रजनी रावत के अलावा अन्य किसी भी आरोपी का नाम तक एफआईआर में नहीं लिखा।
वहीं जब पीड़ित पक्ष ने सामाजिक संगठन से मदद की गुहार लगाई तो किन्नर रजनी रावत के द्वारा उक्त संगठन संचालक को ही फोन कर धमकी देते हुए राज्य मंत्री होने की धौंस दिखाई।
पीड़ित किन्नरों का यह वह समूह है जो किन्नरों द्वारा मांगे जाने वाले मनमानी बधाई और ना दिए जाने पर नग्न होकर अभद्रता किए जाने का विरोध करते हैं, साथ ही किन्नरों द्वारा मांग कर नहीं बल्कि स्वरोजगार कर जीवन व्यापन करने की पैरवी करतें हैं, ऐसे में इन स्वाभिमानी किन्नरों के साथ हुई इस मारपीट से अंदाजा लगाया जा सकता है की क्यों राजधानी देहरादून में रजनी रावत से जुड़े किन्नरों के हौसले बुलंद है और वो क्यों मनमानी बधाई मांगते हैं और न दिए जाने पर नग्न होकर अभद्रता करते हैं,
इस मारपीट के पीड़ितों में शामिल उत्तराखंड की पहली ट्रांस वूमेन अदिति शर्मा ने बताया की सरकार ने रजनी रावत को इसलिए दर्जाधारी मंत्री बनाया था कि समाज कल्याण विभाग के माध्यम से एलजीबीटी समुदाय का भी भला हो सके लेकिन पद की आड़ में रजनी रावत के द्वारा सिर्फ और गुंडागर्दी की जा रही है, साथ ही कहा कि रजनी रावत के द्वारा बाहरी राज्यों से किन्नरों को यहां आमंत्रित कर उनसे धन उगाही का काम बधाई के नाम पर करवाया जा रहा है और उत्तराखंड के जो मूलनिवासी किन्नर हैं उन्हें मारपीट कर भगाया जा रहा है।
बीते बुधवार को पीड़ित पक्ष के द्वारा देहरादून प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता कर समस्त पत्रकारों को अपने साथ हुई घटना से अवगत कराया गया परंतु गजब की बात है कि आज किसी भी अखबार में इन पीड़ितों की फरियाद एक लाइन में भी नहीं छापी गई आखिर क्यों? क्या सिर्फ मीडिया पीआर द्वारा भेजी गई खबरें ही इनके यहां प्रकाशित होंगी? इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं की खबरों के नाम पर विज्ञापन परोसने वाले ये अखबार कितने जनहितैषी हैं।