रिपोर्टर- सुनील सोनकर
मसूरी में उत्तराखंड राज्य में संचालित रोपवे इमरजेंसी के लिए जॉइंट मॉक ड्रिल एक्सरसाइज का आयोजन उप जिलाधिकारी मसूरी नंदन कुमार के निर्देश के बाद मसूरी भट्टा रोपवे में आयोजित की गई। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भारत सरकार द्वारा देश पर रोपवे प्रोजेक्ट के लिए द्वितीय अर्धवार्षिक संयुक्त रोपवे मॉक ड्रिल का आयोजन किए जाने के निर्देश दिए गए थे, जिसके क्रम में जनपद देहरादून में संचालित रोपवे से समन्वय स्थापित कर टेबल टॉप भट्टा गांव रोपवे पर मॉक ड्रिल एक्सरसाइज आयोजित की गई।
मंगलवार को शासन के निर्देश पर भट्टा गांव रोपवे में रेस्क्यू अभियान का ट्रायल किया गया। करीब सुबह दस बजे से शुरू हुआ ट्रायल 45 मिनट तक चला। इस दौरान रोपवे में फंसे लोगों को रस्सी के सहारे पहाड़ी पर उतारा गया। भटटा गांव रोपवे की घटना ने लोगों में दहशत पैदा कर दिया है। ऐसे में पर्यटकों में भरोसा जताने और तैयारियों को परखने के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा आईटीबीपी, एनडीआएफ, एसडीआएफ, स्थानीय पुलिस, स्वास्थ्य विभाग की टीम के द्वारा सयुक्त रूप् से मॉकड्रिल किया।
इस दौरान रोपवे में फंसे लोगों को रस्सी के सहारे पहाड़ी पर उतारा गया। स्थानीय प्रशासन का दावा है कि रोपवे में किसी तरह की तकनीकी गड़बड़ी नहीं है। यदि अपरिहार्य स्थिति में नौबत आई तो प्रशासन के पास रेस्क्यू टीम की तैयारी पूरी है।करीब सुबह दस बजे से शुरू हुआ ट्रायल 45 मिनट तक चला। इस दौरान कुछ देर के लिए ट्रॉली पर सवार स्टाफ हवा में लटका रहा, फिर केबिन ऑपरेटर के साथ ही रेस्क्यू टीम की मदद से ट्राली से लोगों को पहाड़ी पर सुरक्षित रेस्क्यू किया गया। अभियान में दमकल विभाग के कर्मचारी भी शामिल रहे।
बता दें कि देश में 700 मीटर लंबाई के रोपवे की ट्राली में 2015 व 2019 में पर्यटक फंस चुके हैं, जिनको बमुश्किल रेस्क्यू किया गया था। हाल ही में झारखंड में रोपवे हादसे में पर्यटकों की मौत व घायल होने की घटना के बाद देशभर में रोपवे को लेकर चिंता बढ़ गई है। जिसके बाद शासन ने रोपवे के तकनीकी परीक्षण के लिए रेस्क्यू का ट्रायल करने के निर्देश जिलों को दिए थे। उन्होनें बताया कि रोपवे का तकनीकी परीक्षण पूरी तरह सफल रहा।
एनडीआरएफ इंस्पेक्टर आनंद सिंह ने बताया कि एनडीआरएफ के सेनानी सुरेश कुमार दलाल के निर्देशों के बाद एनडीआरएफ की टीम ने मॉक ड्रिल में प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि सभी विभाग एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, मसूरी पुलिस फायर सर्विस, स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की टीमों ने संयुक्त रूप से मॉक ड्रिल में प्रतिभाग किया, वहीं सभी लोगों ने अपने-अपने स्तर से रेस्क्यू तकनीक को प्रदर्शित किया।
उन्होंने कहा कि मॉक ड्रिल में मसूरी भट्टा गांव रोपवे का सिस्टम फैलियर हो जाता है जिसमें ट्रॉली में कई लोग फंस जाते हैं जिनको सुरक्षित निकालने के लिए सभी संबंधित विभाग की टीम मौके पर पहुंचती है और उनका रेस्क्यू करती है और रेस्क्यू में प्रतिभाग कर रहे विभाग के अधिकारी और कर्मचारी अपने-अपने तकनीक का इस्तेमाल करके ट्रॉली में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालते हैं।
उन्होंने कहा कि किसी भी आपदा के लिए एनडीआरएफ पूरी तरीके से तैयार रहती है, उनकी तीन टीमें 24 घंटे जहाजरा कैंप में पूरी तरीके से तैयार रहती है और उनका मूवमेंट टाइम 10 से 15 मिनट का होता है। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी टनल मामले में एनडीआरएफ की दो टीम 24 घंटे तैनात है जो रेस्क्यू ऑपरेशन में पूरी तरीके से सहयोग कर रही हैं।एनडीआरएफ का हेड क्वार्टर गदरपुर में स्थित है जहां पर किसी भी आपदा से निपटने के लिये एनडीआरएफ की टीम 24 घंटे तैयार रहती है।