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क्लिक हियर” ट्रेंड: चुनावी रणनीति या सोशल मीडिया का खेल? जानिए क्या है क्लिक हियर । NIU

क्लिक हियर” ट्रेंड: चुनावी रणनीति या सोशल मीडिया का खेल? जानिए क्या है क्लिक हियर । NIU

ऋषिकेश – NIU लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक आते ही सोशल मीडिया ट्विटर(एक्स) पर एक अनोखा ट्रेंड सामने आया है। “क्लिक हियर” शीर्षक वाली तस्वीरें हर तरफ दिख रही हैं, जिनमें राजनीतिक दल, हस्तियां और आम लोग भी शामिल हैं। क्या यह चुनावी प्रचार का नया तरीका है या सोशल मीडिया का एक मनोरंजक खेल?

ट्रेंड का सार:

इस ट्रेंड में, एक सफेद पृष्ठभूमि पर बड़े काले अक्षरों में “क्लिक हियर” लिखा होता है। इसके पीछे कोई स्पष्ट संदेश नहीं है, और उपयोगकर्ता इसे अपनी इच्छानुसार व्याख्या कर सकते हैं।

राजनीतिक दल इसका इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं:

भाजपा ने इस ट्रेंड को अपनी उपलब्धियों को उजागर करने के लिए, अबकी बार 400 पार नारे के लिए इस्तेमाल किया है। “क्लिक हियर” पर क्लिक करने पर, उपयोगकर्ताओं को सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों के बारे में जानकारी मिलती है।कांग्रेस ने इस ट्रेंड को भाजपा को विभिन्न मुद्दों पर घेरने के लिए इस्तेमाल किया है। “क्लिक हियर” पर क्लिक करने पर, उपयोगकर्ताओं को महंगाई, बेरोजगारी और अन्य मुद्दों के बारे में जानकारी मिलती है।

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ट्रेंड के फायदे:

यह लोगों का ध्यान आकर्षित करने का एक प्रभावी तरीका है।यह लोगों को राजनीतिक मुद्दों के बारे में जानकारी देने का एक नया तरीका है।यह लोगों को चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।

ट्रेंड के नुकसान:

यह भ्रामक हो सकता है, क्योंकि यह स्पष्ट नहीं होता है कि “क्लिक हियर” पर क्लिक करने पर क्या मिलेगा।इसका इस्तेमाल गलत सूचना फैलाने के लिए किया जा सकता है।यह लोगों को राजनीतिक मुद्दों के बारे में गंभीरता से सोचने से रोक सकता है।

निष्कर्ष:

“क्लिक हियर” ट्रेंड सोशल मीडिया का एक नया और रोमांचक तरीका है, जिसका इस्तेमाल राजनीतिक दल और आम लोग चुनावी प्रचार के लिए कर रहे हैं। यह लोगों का ध्यान आकर्षित करने और उन्हें राजनीतिक मुद्दों के बारे में जानकारी देने में प्रभावी हो सकता है। हालांकि, यह भ्रामक भी हो सकता है और इसका इस्तेमाल गलत सूचना फैलाने के लिए भी किया जा सकता है।यह महत्वपूर्ण है कि लोग इस ट्रेंड का इस्तेमाल करते समय सावधान रहें और “क्लिक हियर” पर क्लिक करने से पहले जानकारी की सत्यता की जांच करें।

(लेखक अंकित तिवारी , शोधार्थी, अधिवक्ता एवं पूर्व विश्वविद्यालय प्रतिनिधि हैं।)

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