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मसूरी में जनरल बिपिन रावत को नमन, चौथी पुण्यतिथि पर हवन, श्रद्धांजलि और यादों का कारवां

मसूरी में जनरल बिपिन रावत को नमन, चौथी पुण्यतिथि पर हवन, श्रद्धांजलि और यादों का कारवां

रिपोर्टर- सुनील सोनकर

मसूरी में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) और वीर भूमि उत्तराखंड के सपूत जनरल बिपिन रावत की चौथी पुण्यतिथि पर आज मसूरी सवेरे से ही राष्ट्रभक्ति के रंग में रंगा हुआ नज़र आया। पौड़ी गढ़वाल विकास समिति द्वारा शहीद स्मारक पर विशेष हवन और श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीति से जुड़े प्रतिनिधि शामिल हुए। मंत्रोच्चार और ‘भारत माता की जय’ के नारों से पूरा परिसर गूंजता रहा। उपस्थित लोगों ने उनकी तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया।

पौड़ी गढ़वाल विकास समिति के अध्यक्ष अमित गुप्ता ने कहा कि “देश के प्रथम सीडीएस का बलिदान और योगदान भारतीय इतिहास का गौरवपूर्ण अध्याय है, जिसे आने वाली पीढ़ियाँ सदैव याद रखेंगी।”

कार्यक्रम में वक्ताओं ने उस दिल दहला देने वाली 2021 की घटना को याद किया, जब तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलीकॉप्टर हादसे में जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और अन्य सैन्य अधिकारी देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर गए थे। उनकी स्मृतियों का जिक्र करते हुए लोगों की आंखें नम हो गईं। वक्ताओं ने कहा कि रावत साहब केवल एक सैन्य अधिकारी नहीं, बल्कि एक ऐसे राष्ट्रनायक थे जिनके दिल में देश, देशवासियों और अपने सैनिकों के लिए अथाह प्रेम था।वो सफर जो गोरखा राइफल्स से शुरू होकर देश के पहले सीडीएस तक पहुँच गया

कार्यक्रम में जनरल रावत के उज्ज्वल सैन्य जीवन को भी विस्तार से याद किया गया। 1978 में 11 गोरखा राइफल्स से सैन्य सेवा की शुरुआत, मिज़ोरम, कांगो, जम्मू-कश्मीर जैसे चुनौतीपूर्ण मोर्चों पर महत्वपूर्ण कमान, 2016 में भारतीय थल सेना प्रमुख नियुक्त और फिर 1 जनवरी 2020 को भारत के पहले सीडीएस बने । उनके कार्यकाल में तीनों सेनाओं थल, नौसेना और वायु सेना के बीच संयुक्तता बढ़ाने के कई बड़े और ऐतिहासिक कदम उठाए गए। उनके नेतृत्व में सुरक्षा रणनीति को नई दिशा मिली।
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने उनके पौड़ी गढ़वाल स्थित पैतृक गांव सैंण से जुड़ी उनकी यादों को भी साझा किया। बताया गया कि जनरल रावत अक्सर कहा करते थे कि वे अपने गांव तक बेहतर सड़क बनवाने का सपना देखते हैं, ताकि गांव का विकास तेज़ी से हो सके।

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