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देशव्यापी हड़ताल का असर मसूरी में भी दिखा, मजदूरों ने उठाई आवाज

देशव्यापी हड़ताल का असर मसूरी में भी दिखा, मजदूरों ने उठाई आवाज

रिपोर्टर- सुनील सोनकर

मसूरी। देशभर में चल रही राष्ट्रव्यापी एक दिवसीय हड़ताल का असर बुधवार को मसूरी में भी देखने को मिला। अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस और सेंटर ऑफ इंिण्डयन ट्रेड यूनियन सीटू मसूरी इकाई के नेतृत्व में स्थानीय मजदूरों, होटल कर्मचारियों, रेहड़ी-पटरी व्यवसायियों और महिला कामगारों ने भगत सिंह चौक / पिक्चर पैलेस पर बीजेपी की केंद्र सरकार की मजदूर vv विरोधी नीतियों के खिलाफ शांतिपूर्ण धरना दिया। इस हड़ताल में सैकड़ों मजदूरों, महिलाओं, युवा कार्यकर्ताओं और समाजसेवियों ने भाग लिया। सभी ने मिलकर नारे लगाए। जिसमें उन्होने कहा कि श्रमिकों का शोषण नहीं चलेगा,हमारा हक़ है, कोई एहसान नहीं, महंगाई पर रोक लगाओ, मजदूरों को न्याय दिलाओ! उन्होंने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा देश भर के मजदूर के खिलाफ षडयंत्र कर उनके अधिकारों से खेला जा रहा है जिसको किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

इस मौके पर ट्रेड यूनियन मसूरी के अध्यक्ष आरपी बडोनी ओर मजदूर नेता देवी गोदियाल ने कहा कि हड़ताल का मकसद देशभर में श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा और भाजपा की सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों का विरोध में किया गया। इस मौके पर विभिन्न मजदूरों को लेकर राष्ट्रपति को भेजा गया ज्ञापन भेजकर विभिन्न मागें उठाई गई है जिसमें महंगाई भत्ता की बहाली व समय पर भुगतान। होटल, दुकान, स्कूलों में काम करने वालों को च्थ्, म्ैप्, बोनस, साप्ताहिक छुट्टी मिले। 12 घंटे काम का नियम रद्द किया जाए, 8 घंटे का शिफ्ट लागू हो। ₹26,000 न्यूनतम वेतन तय किया जाए। गैस, डीजल, पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को रोका जाए।नई पेंशन स्कीम खत्म कर पुरानी पेंशन योजना बहाल हो।रेहड़ी-पटरी वालों को स्थायी स्थान और सम्मानजनक रोज़गार मिले।रिक्शा चालकों और सफाई कर्मचारियों के साथ हो रहे भेदभाव को तुरंत रोका जाए। शिफन कोर्ट में उजड़े परिवारों को फिर से बसाया जाए। महिला श्रमिकों को सुरक्षा, ओवरटाइम और अवकाश की सुविधा दी जाए। सरकारी विभागों में खाली 50,000 पदों पर भर्ती की जाए। पुराने श्रमिकों को मकान और ज़मीन पर अधिकार दिया जाए। चाय बागानों की ज़मीन का मुआवज़ा श्रमिकों को भी मिले।

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह आंदोलन देशभर के करोड़ों श्रमिकों की आवाज़ है। यदि सरकार ने जल्द सुनवाई नहीं की, तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।

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