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उत्तराखंड में नए राजनीतिक दल की सुगबुगाहट हुई तेज, इन संगठनों की एक वेडिंग प्वाइंट में हुई बैठक। NIU

उत्तराखंड में नए राजनीतिक दल की सुगबुगाहट हुई तेज, इन संगठनों की एक वेडिंग प्वाइंट में हुई बैठक। NIU

पर्वतजन फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने उत्तराखंड समानता पार्टी के वरिष्ठतम पदाधिकारियों से देहरादून के एक वेडिंग प्वाइंट मे मुलाकात की। मीटिंग में कई प्रस्तावों पर विचार विमर्श हुआ। पर्वतजन फाउंडेशन के संयोजक शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि मुलाकात और परिचर्चा बेहद सकारात्मक रही। हम लोग जनता के सुझाव पर विभिन्न क्षेत्रीय राजनीतिक दलों से मुलाकात कर रहे हैं और उनके मुद्दों को एक साथ समाहित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को एक साथ लाने की दिशा में कार्य आगे बढ़ चुका है। कई अन्य दलों से भी बातचीत चल रही है।

पर्वतजन फाउंडेशन के संयोजक राजेंद्र पंत ने कहा कि पहले चरण में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाने के लिए उनके मुद्दों पर सहमति बनाई जा रही है। उत्तराखंड समानता पार्टी के महासचिव इ. विनोद प्रकाश नौटियाल ने कहा कि प्रमोशन में आरक्षण, मूल निवास , भूकानून जैसे मुद्दों पर व्यापक एकजुटता की जरूरत है। उत्तराखंड समानता पार्टी के एलपी रतूड़ी ने कहा कि परिसीमन, बेरोजगारी, पलायन और महिला के प्रति अपराध जैसे मुद्दों पर मुखरता जरूरी है।

इस अवसर पर पर्वतजन फाउंडेशन की ओर से शिवप्रसाद सेमवाल और राजेंद्र पंत के अलावा उत्तराखंड समानता पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी लक्ष्मी प्रसाद रतूड़ी, सेवानिवृत्त इंजीनियर विनोद प्रकाश नौटियाल, उत्तराखंड सचिवालय के पूर्व समीक्षा अधिकारी श्रीधर प्रसाद नैथानी, सेवानिवृत्त वनाधिकारी वीरेंद्र प्रसाद डोबरियाल, जेपी कुकरेती, सेवानिवृत्त कृषि अधिकारी बीके धस्माना, आर पी जोशी, चंदन सिंह नेगी, जे पी कुकरेती, टी एस नेगी आदि मौजूद रहे।समृद्ध तथा सुरक्षित राज्य के निर्माण हेतु पार्टी निम्न उद्देश्यों पर कार्य किये जाने को लेकर प्रस्ताव तैयार किये गये। 

ये थे मुख्य प्रस्ताव

1- भ्रष्टाचार मुक्त राज्य की परिकल्पना को साकार किया जाना तथा प्रभावी एवं पूर्ण अधिकार संपन्न लोकायुक्त का गठन किया जाना । 

2- पलायन रोकथाम हेतु नीति का निर्धारण (रिवर्स पलायन के लिए सही रणनीति का निर्धारण, पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने हेतु अनिवार्य रोजगार गारंटी योजना को क्रियान्वित करना, सरकारी सेवाओं हेतु पर्वतीय उपसंवर्ग का गठन किया जाना, दुग्ध उत्पादन, बायोगैस प्लांट, मत्स्य पालन, भेड़ पालन, मौन पालन, मुर्गी पालन, फूल, फल एवं सब्जी उत्पादन आदि के कार्य बृहद एवं व्यावसायिक स्तर पर कराया जाना तथा स्वरोजगार हेतु संसाधन उपलब्ध कराना, जल, जंगल, जमीन की रक्षा तथा इन्हें रोजगार परक योजनाओं से जोड़ा जाना, धार्मिक, साहसिक एवं सामान्य पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा देना तथा इसकी विस्तृत कार्ययोजना बनाकर इसे स्थाई रोजगार से जोड़ा जाना, सभी रिक्त पदों पर अविलंब भर्ती अभियान तथा उसके पश्चात प्रत्येक चयन वर्ष में रिक्तियों को चरणबद्ध रूप से भरा जाना एवं पदोन्नतियों को किया जाना।) 

3- प्रदेश के सभी नागरिकों को उच्च कोटी की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना एवं आयकर सीमा से नीचे जीवन यापन करने वाले सभी नागरिकों को निःशुल्क उत्कृष्ठ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना। 

4- नशा मुक्त राज्य का निर्माण किया जाना। 

5- विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन क्षेत्रफल के आधार पर किये जाने हेतु संघर्ष करना तथा तब तक परिसीमन यथावत सुनिश्चित किया जाना।

6- सर्वाधिकार सम्पन्न सवर्ण आयोग का गठन किया जाना ।

7- कृषि क्षेत्र में आमूल चूल परिवर्तन तथा विकास के साथ-साथ जैविक खेती पर आधारित कृषि को और अधिक प्रोत्साहित किया जाना तथा संपूर्ण कृषि क्षेत्र को रोजगार से जोड़ा जाना ।

8- बेरोजगारी उन्मूलन हेतु प्रभावी रणनीति तैयार किया जाना एवं उत्तराखंड को कर्नाटक, हैदराबाद, महाराष्ट्र, तमिलनाडु आदि राज्यों की भांति आईटी हब के रूप में विकसित किया जाना ।

9- जन भावनाओं के अनुरूप राज्य की स्थाई राजधानी गैरसैंण किया जाना।

10 – संस्कृति, परम्पराओं एवं बोली भाषा एवं यहाँ के जनमानस को बचाये रखने के लिए उत्तराखण्ड का अपना सशक्त भू-कानून (हिमाचल प्रदेश की भांति) एवं पर्वतीय भूमि को ध्यान में रखते हुए चकबन्दी कानून को अनिवार्य रूप से लागू किया जाना। 

11- राज्य गठन के पूर्व दिवस 08 नवम्बर 2000 को विद्यमान मूल निवास की व्यवस्था (1950 के आधार पर) बहाल करना। 

12- राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों तथा पर्यावरणीय आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुए छोटी जल विद्युत परियोजनाओं तथा वैकल्पिक ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देते हुए उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश के रूप में स्थापित करना। 

13- बहुआयामी शिक्षा व्यवस्था स्थापित करते हुए उत्तराखंड को शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाना।

14- महिला सशक्तिकरण का कार्य किया जाना ।

15- सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग की भेदभाव रहित उन्नति के लिए आरक्षण आर्थिक आधार पर दिया जाना।

16- सामाजिक सदभाव बनाये रखने के लिए एससी, एसटी (एट्रोसिटीज) एक्ट की एकतरफा व दोषपूर्ण धाराओं में संशोधन किया जाना तथा दोष सिद्ध ना होने की दशा में प्रभावित को समुचित मुआवजा प्रदान किया जाना।

17- कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाली का लाभ दिया जाना।

18- प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए वैज्ञानिक ढंग से विदोहन किया जाना ।

19- राज्य में घुसपैठियों एवं अतिक्रमणकारियों को चिन्हित कर उन्हें राज्य से बाहर किया जायेगा ।

20- गोल्डन कार्ड की विसंगतियों को दूर किया जाना।

21- धर्मान्तरण विरोधी एवं जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाये जायेंगे। 

22- त्वरित न्याय प्रदान करने के उद्देश्य से ग्राम अदालतों का गठन किया जायेगा तथा पुलिस सुधार की अनुशंसा को लागू किया जायेगा।

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