
मयंक मिश्रा ✍️NIU-UP
इंलिग़ल तरीके से अमेरिका में रह रहे 104 भारतीयों को अमेरिका द्वारा कल हिंदुस्तान वापस भेज दिया गया है। इन 104 भारतीयों में दो व्यक्ति उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद के रहने वाले हैं जिनमें रक्षित बालियान शाहपुर क्षेत्र के रहने वाले हैं तो वहीं देवेंद्र सिंह पुरकाजी थाना क्षेत्र स्थित मारकपुर गांव के निवासी हैं हाई स्कूल पास देवेंद्र सिंह अमेरिका में 29 नवंबर को बड़े-बड़े सपने लेकर गए थे लेकिन अमेरिका के माफियाओं ने उन्हें गन पॉइंट पर बंधक बना लिया था जिसके बाद इन माफियाओं ने 40 लाख रुपये की फिरौती लेने के बाद उन्हें रिहा किया था।
आपको बता दे कि यह फिरौती की रकम भारत के हरियाणा राज्य में स्थित करनाल जनपद में ली गई थी।
देवेंद्र सिंह का कहना है कि अमेरिका बॉर्डर पर स्थित 15 फीट दीवार पर लोहे की सीडी लगाकर माफियाओं ने उन्हें मेक्सिको में भेज दिया था जहां आर्मी ने उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लिया था। जिसके बाद पूछताछ करने के बाद अमेरिका की आर्मी द्वारा हाथ पैरों में जंजीर बांधकर उन्हें प्लेन के जरिए भारत के अमृतसर में बुधवार को डिपोर्ट किया गया था।
अमेरिका में बीते दिनों की आपबीती बताते हुए देवेंद्र सिंह का कहना है कि मेरा नाम देवेंद्र सिंह है जर्नी मेरी बहुत बैड रही है मैं यहां से 29 नवंबर को गया था यहां से थाईलैंड गया था थाईलैंड से वियतनाम वियतनाम से चीन से साल्वाडोर गए थे साल्वाडोर जाकर हम वहां पर दो दिन रुक वहां पर उन्होंने पैसों की डिमांड की हमसे जो माफिया था वहां का जो हमको लेकर गया था वहां पर जितने पैसे उन्होंने बोले हमने प्रोवाइड कराया उनको उसके बाद वह आगे हमें फिर दो दिन रोक के वह हमको आर्टिमुल लेकर गए आर्टेमुल में दो दिन रखा उन्होंने हमें जैसे जैसे वह नजदीक लेते गए वह हमसे पेमेंट की डिमांड करते रहे फाइनली फिर वह मेक्सिको ले गए मैक्सिको में जो उनकी बीएमआर ड्यूटी आई हुई थी फिर उन्होंने हमसे वह पेमेंट ली और बॉर्डर पार करवा दिया 40 लाख रुपए दिए हमने यह हरियाणा में करवाया है पेमेंट हमने कैश दिया था बॉर्डर वहां पर 15 फीट ऊंची फेंसिंग लगी हुई थी लोहे की एक तरफ अमेरिका की लगी हुई है एक तरफ मेक्सिको की लगी हुई है दो बाउंड्री हैं उनके बीच में रास्ता है जो वाटर पेट्रोलिंग के लिए घूमते हैं मेक्सिको से क्रॉस करना पड़ता है मेक्सिको वाली जो फेंसिंग है उन्होंने लोहे की सीढी बनाई हुई है उन्होंने साड़ियों की तो उसे क्रॉस करवाते हैं जो डोंग करके जो बंदे होते हैं माफिया वाले तो उधर से चढ़कर उधर जाते हैं तो आगे बॉर्डर पेट्रोलिंग वाले अगर पास में है तो वह अपने आप आ जाएंगे लेने के लिए अगर नहीं है तो आप उनको 911 पर कॉल करके तो वह आपको 5 मिनट में आकर उठा लेंगे उन्होंने आर्मी ने हमें कुछ गलत नहीं बोला कैंप में ले गए जहां पर वह रखते हैं वहां पर वहां जाकर उन्होंने हमारे फिंगर वगैरा करवाएं हमारे कुछ इंक्वारी जो ऑनलाइन है वह कार्रवाई जैसे मान लो कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड तो नहीं है इंडिया में वहां से भाग कर तो नहीं आया कोई क्राइम करके तो नहीं आया उसे चीज को वह चेक करते हैं फिर उन्होंने हमें एक कैंप में डाल दिया जो उनका रूम बना हुआ था वहां पर ठंड भी बहुत ज्यादा रहती है सिंगल कपड़ों में रहते हैं आप आपको सिंगल कपड़े ही पहनने के लिए दिए जाएंगे वहां पर बहुत यातनाएं झेलनी पड़ती हैं खाने के लिए नहीं देते हैं कुछ हल्का-फुल्का ही देते हैं खाने के लिए जैसे आदमी बस जी सके और कुछ नहीं मिलता है फिर इंडिया के लिए डिपोर्ट की उन्होंने वहां से कोई भीम नहीं की वहां से तो ऐसे लेकर आए कि जैसे कोई कंट्री हमें चोरी से निकल रही है कि इनको कहीं रफा दफा करना है बेड़िया लगाई गई हाथों में भी पैरों में भी वहां से हम 2 तारीख में चले थे हमें यहां 5 तारीख में छोड़ा गया 104 लोग थे इंडिया के माफिया के कैंप नहीं है माफिया तो अपने घरों में रखते हैं जैसे 10 बंदे गए उनके पास में 10 बंदों को 4 दिन रखेंगे 5 दिन रखेंगे वह तो आगे निकलते रहते हैं वह नहीं रोकते वह जो उनकी यू एस आर्मी वालों की कैंप है उन्होंने अपने कैंप बना रखे हैं सरकार रखी है वहां पर काफी सारे कैंप है वहां पर टियागो में कैंप है टेक्सास में है और उनके जैसे-जैसे बॉर्डर पड़ते हैं सब जगह उनके कैंप होते हैं बने हुए हैं नहीं काम कहीं नहीं कर पाए मैं हाई स्कूल पास हूं जी सोचा था कि वहां पर जाकर कहीं स्टोर में काम करेंगे लाइसेंस वगैरह अप्लाई करेंगे ड्राइविंग का उसके बाद ट्रक वगैरा पर काम कर लेंगे ट्रक वगैरा चलाने के लिए नहीं जी अब तो हिम्मत ही नहीं रही जाने की यह अमेरिका कम बहुत गलत है पहले उन्होंने आदमी बुलाए यहां से काम करने के लिए फिर उनको भगा रहे हैं नहीं यह तो है इन लीगल तरीका ही पर वैसा जो तरीका है वह फॉलो नहीं कर सकते हम रोल हम फॉलो नहीं कर सकते होंगे इलीगल ही है यह ज्यादातर लोग इसी तरीके से जाते हैं।