Site icon News India Update

MLA Umesh Kumar एक के बाद एक ताबड़तोड फैसलों से बने चर्चा का विषय, लंबे समय से विधानसभाओं में कुंडली जमाए बैठे अन्य MLA सकतें में ।

MLA Umesh Kumar एक के बाद एक ताबड़तोड फैसलों से बने चर्चा का विषय, लंबे समय से विधानसभाओं में कुंडली जमाए बैठे अन्य MLA सकतें में ।

10 मार्च वो दिन जब उत्तराखंड के राजनितिक गलियारों में हलचल मच गई जब सुना की हरीद्वार की खानपुर विधानसभा से कुंवर पर्णव सिंह चैंपियन को राजनीति के शिखर से धकेल कर तीसरे पायदान पर पहुंचा दिया गया है।

और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे पत्रकार उमेश कुमार अपने होलीकॉप्टर के संग विधानसभा पहुंच चूके है। उस हलचल के दौरान कई लोगों को जीत का यकीन करने में खासी परेशानीयों का सामना करना पड़ा।। अब हालात ये है की विधायक उमेश कुमार बिना शपथ ग्रहण किए ही एक के बाद एक व्यवस्थाओं का जायजा ले रहें है। जिससे लंबे समय से कथित राजा के शासनकाल की राजशाही भोग रहे आला अधिकारीयों के भी पशीने छूट रहें है।

वरिष्ठ पत्रकार उमेश कुमार ने विधायक बनते ही ताबड़ तोड़ बेटिंग शुरू कर दी है । सबसे पहले विधायक बनते ही उमेश कुमार ने दिल्ली जाकर देश के सबसे बड़े वकील कपिल सिब्बल से भंगेडी व अन्य जगहों पर स्थित रास्ते के विवाद जो सेना और ग्रामीणों के बीच है, उस सम्बंध में बात की । इसके बाद उमेश कुमार दिल्ली से सीधा मंगलवार को ख़ानपुर ब्लाक में पहुँचे और अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें दिशा निर्देश दिए । उमेश कुमार ने जनता से अपील करते हुए कहा कि विकास कार्यो में अधिकारियो का सहयोग करें वही कुछ अधिकारियों को चेतावनी भी दी वो जनता के प्रति अपना रवैया ठीक करें । उमेश कुमार ने कहा कि विकास कार्यो में भ्रष्टाचार बिल्कुल भी बर्दाश्त नही किया जाएगा। उमेश कुमार ने खादर क्षेत्र के आठ गांव का दौरा भी किया । इसके बाद लँढोरा ,ढंढेरा ,मोहनपुरा में सहित अन्य गांवों में लोगो का आभार प्रकट किया और भारी मतों से नेता नही बल्कि बेटा चुननें हेतु बधाई दी ग्रामीणों ने भी गर्म जोशी के साथ उमेश कुमार का स्वागत किया।

यूं तो उत्तराखंड को शहीदों के सपनो का राज्य कहा जाता है। शहीदों के सम्मान के लिए बड़ी बड़ी बातें कही जाती है । उत्तराखंड के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर देने वाले शहीदों का सम्मान सिर्फ 2 अक्टूबर को रामपुर तिराहा कांड की वर्षी पर मात्र केवल अपनी राजनीति भुनाने के लिए किया जाता है । ऐसे ही राजनीतिक लोगो को वरिष्ठ पत्रकार उमेश कुमार ने विधायक बनते ही आईना दिखाने का काम किया है । शहीदों की शहादत को सम्मान देने के लिए उमेश कुमार उत्तराखंड के ऐसे पहले नेता है जो विधायक बनते ही जनता की सेवा हेतु बिना शपथ लिए ही दिल्ली से काम निपटाकर सीधा पहले रामपुर तिराहा शहीद स्मारक पहुँचे और शहीदों को पुष्प अर्पित कर उनके आशिर्वाद की कामना करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि दी। इस दौरान मिडिया बाइट्स में उमेश कुमार ने कहा है कि उत्तराखंड राज्य इन शहीदों के बलिदान से ही बना है उन्हें कैसे भुलाया जा सकता है। हम इनके कर्जदार है व् रहेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों का सम्मान अपने शरीर के खून की आख़री बून्द तक करूंगा।

Exit mobile version