आमतौर पर फेफड़ों की बीमारियों को धूम्रपान से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बिना सिगरेट छुए भी आपके फेफड़े खतरे में हो सकते हैं। खासकर 30 की उम्र से पहले ही अब युवाओं में भी फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
लखनऊ स्थित एक अस्पताल में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. रवि प्रकाश सिंह के अनुसार, सिर्फ तंबाकू से दूरी ही फेफड़ों को बचाने के लिए पर्याप्त नहीं है। प्रदूषित हवा, घरेलू धुआं, अगरबत्ती, किचन गैस का धुआं, यहां तक कि रूम फ्रेशनर और सेंटेड कैंडल्स भी फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
WHO की रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण से हर साल करीब 70 लाख लोगों की जान जाती है। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण जैसे PM2.5 और NO₂ सीधे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं, लैंसेट के अध्ययन में पाया गया कि लकड़ी या गोबर से खाना बनाने वाले घरों में रहने वालों को सीओपीडी जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
CDC के मुताबिक, पैसिव स्मोकिंग यानी दूसरों के धुएं में सांस लेने से भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा 20–30% तक बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि लोग नियमित रूप से श्वसन व्यायाम करें, प्रदूषण से बचें और साफ-सुथरे वातावरण में रहें ताकि फेफड़ों की कार्यक्षमता को लंबे समय तक बनाए रखा जा सके।