रिपोर्टर -सुनील सोनकर
उत्तराखंड के शताब्दी दिवस पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी और राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। माहरा ने कहा कि भाजपा सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों और शहीदों की भावनाओं को भुला दिया है। उन्होंने शहीद स्थल पर उपवास कर रहे आंदोलनकारी कमल भंडारी का उपवास तुड़वाया और कहा कि “सरकार शहीदों की आत्मा को भी भूल चुकी है।”
माहरा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया यात्रा और ₹8,000 करोड़ की योजनाओं की घोषणाओं पर सवाल उठाते हुए कहा, “घोषणाएँ करना आसान है, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं उतरता। बिहार की तरह यहां भी वादों का पुलिंदा खोला गया है।” हल्द्वानी की ₹2,200 करोड़ की योजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तीन साल बाद भी काम शुरू नहीं हुआ।
अंकित भंडारी हत्याकांड पर भी उन्होंने प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाया। थराली आपदा को लेकर कहा कि “सरकार की तैयारी शून्य है, पाँच दिन बाद सिर्फ मोमबत्तियाँ भेजी गईं।” उन्होंने आरोप लगाया कि “राज्य ने राहत के लिए ₹5,700 करोड़ मांगे थे, लेकिन केंद्र ने ₹1,200 करोड़ ही दिए, जबकि धामी सरकार ने ₹1,000 करोड़ विज्ञापनों पर खर्च कर दिए।”
राज्य की वित्तीय हालत पर चिंता जताते हुए माहरा बोले, “सरकार कर्मचारियों की तनख्वाह देने के लिए भी कर्ज ले रही है। डबल इंजन की सरकार ने प्रदेश को कर्ज में डुबो दिया है।”
प्रधानमंत्री की देहरादून रैली को लेकर उन्होंने दावा किया कि सरकारी स्कूलों को नोटिस देकर छात्रों को रैली में भेजा गया। कुछ स्कूलों ने तो रैली में भाग लेने पर 50 अंक अतिरिक्त देने की बात कही।
विधानसभा सत्र को “भ्रम फैलाने वाला” बताते हुए माहरा ने कहा कि भर्ती घोटालों, पेपर लीक और भ्रष्टाचार पर सरकार मौन है। किसानों की दुर्दशा का जिक्र करते हुए बोले, “बागवानी करने वाले किसान सब्सिडी और समर्थन मूल्य के नाम पर ठगे जा रहे हैं, आज किसान कटोरा लेकर देहरादून में प्रदर्शन कर रहा है।”
2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर माहरा ने दावा किया कि “जनता भाजपा की नीतियों से ऊब चुकी है। उपचुनावों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा है, 2027 में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी।”
बुराड़ी में बनने वाले “केदारनाथ मंदिर” पर उन्होंने कहा कि “केदारनाथ केवल आस्था का विषय नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों की रोज़ी-रोटी से जुड़ा है।”
अंत में माहरा ने कहा, “अब वक्त है कि हम शहीदों के सपनों का उत्तराखंड बनाएं — जो आत्मनिर्भर, सम्मानित और विकासशील हो। यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”

