मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की निजी सक्रियता से हल हुए मुश्किल हालात
देहरादून। भाजपा विधायक एव प्रवक्ता खजान दास ने कहा कि इस साल के मानसून में धराली, थराली, नंदानगर और कफकोट के साथ ही प्रदेश में कई जगहों पर प्राकृतिक आपदाएं आई। मानसून समापन की ओर आया तो प्रदेश में युवाओं का आंदोलन शुरु हो गया। लेकिन इन सबके जो बात कॉमन थी कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हर मोर्चे पर पहुंचते हुए, लोगों से संवाद करते नजर आए। इस कारण जहां आपदा पीड़ितों को फिर उठ खड़ा होने का संबल मिला वहीं प्रदेश के युवाओं का भी सरकार पर भरोसा बना रहा।
उन्होंने कहा कि इस साल प्राकृतिक आपदा की पहली बड़ी मार धराली (उत्तरकाशी) में पड़ी, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस दिन प्रदेश से बाहर थे, ऐसे में वो तत्काल प्रदेश लौटकर अगले दिन खराब मौसम के बावजूद धराली पहुंचते हैं। यहां भीषण आपदा को देखते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अगले कुछ दिन वहीं कैम्प कर, राहत एवं बचाव अभियान को गति प्रदान की। इसके बाद पौड़ी के सैंज गांव से लेकर, चमोली के थराली, नंदानगर और बागेश्वर में कफकोट से लेकर हरिद्वार और देहरादून के बाहरी क्षेत्रों में तक भूस्खलन, बाढ़ की विपदा देखने को मिली। लेकिन मुख्यमंत्री हर जगह बिना वक्त गंवाएं पहुंचकर, राहत एवं बचाव कार्यों को गति देते नजर आए। मुख्यमंत्री ने लोगों से बातचीत कर, अतिरिक्त सहायता राशि जारी करने जैसे निर्णय लेकर लोगों के दुख दर्द को साझा करने का प्रयास किया। इसी तरह युवाओं के आंदोलन के बीच भी जब पुलिस प्रशासन के प्रयासों से बातचीत नहीं बन पाई तो मुख्यमंत्री ने बिना झिझक के सीधे आंदोलन स्थल पर पहुंच युवाओं से संवाद करने का निर्णय लिया।
इसका नतीजा यह निकला कि चंद मिनटों में ही, युवाओं का आंदोलन शांत हो गया। साथ ही प्रदेश की युवा शक्ति एक बार फिर पूरे मनोयोग से पढ़ाई और परीक्षा तैयारी की ओर मुड़ गई। प्रदेश में इतिहास में ऐसे पल विरले ही हैं, जब मुख्यमंत्री आक्रोशित भीड़ के बीच पहुंचकर मामले का सर्वस्वीकार्य समाधान तलाशते हों। यह संभव हो पाया, सीएम पुष्कर सिंह धामी की खुले मन से विचार करते हुए निर्णय लेने की कला से। हर मोर्चे पर मुख्यमंत्री के खुद ग्राउंड जीरो पर उतरने से जहां, जनता और सरकार के बीच परस्पर संवाद मजबूत हुआ, वहीं निर्णय लेने की प्रक्रिया भी तेज हुई है।