दीप मैठाणी✍️ NIU
जोशीमठ में हो रहे बदलाव के चलते जोशीमठ आजकल चर्चाओं में है, परंतु भू धंसाव का दंश सिर्फ जोशीमठ ही नहीं बल्कि कर्णप्रयाग भी भुगत रहा है,
और इसका शिकार बने हैं जो कर्णप्रायग के 50 परिवार जिनमें से एक है गब्बर सिंह रावत जिनका मकान लगभग 45 डिग्री के कोण पर झुक गया है,
और यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है, 2013 की आपदा में क्षतिग्रस्त हुए इस मकान की सुध स्थानीय अधिकारियों ने आज तक नहीं ली, ना ही किसी प्रकार का कोई मुआवजा पीड़ित परिवार को दिया,
आमजन को सुख-सुविधाओं देने का दावा करने वाली सरकारों में इन परिवारों को अपनी मूलभूत सुविधा जैसे कि मकान से भी वंचित होना पड़ रहा है।
कुछ परिवार तो यहां से पलायन तक कर चुंके हैं और किराए के मकानों में रहने को मजबूर हैं,
गब्बर सिंह रावत बताते है कि उन्होंने 2013 की आपदा के बाद आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए उनके मकान की सूचना स्थानीय प्रशासन को दी थी मगर स्थानीय प्रशासन ने इसकी सुध नहीं ली इसके उलट उनके घर के आगे एक नाली और खुद दी जिससे मकान की सुरक्षा दीवार क्षतिग्रस्त हो गई और मकान पर दबाव पड़ने से मकान में दरारें पड़ गई और उनका मकान पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो गया अब गब्बर सिंह रावत एक सरकारी पंचायती भवन में रहने को मजबूर है मगर उनके अपने मकान की किसी भी शासन के अधिकारियों ने आज तक सुध नहीं ली ना ही किसी प्रकार का कोई मुआवजा दिया।