
दीप मैठाणी NIU उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून से आज बेहद दुखद खबर सामने आई प्रदेश ने आज एक ऐसी शख्सियत को खो दिया जिनका इस राज्य निर्माण में अहम् योगदान रहा है, हम बात कर रहें है राज्य आंदोलनकारी, उत्तराखण्ड राज्य नेपाली भाषा समिति को संरक्षक, लेखक, साहित्यकार, कवि, व् वरिष्ठ समाजसेवी स्व श्री बब्बर गुरूंग जी की जोकि अब हमारे बीच नहीं रहे, आज दोपहर उन्होंने अपने निवास स्थान 575B शेरबाग रोड गढ़ी कैंट में अंतिम साँस ली, वे लगभग 5 वर्षो से बिस्तर पर थे,

पाठकों को बता दें की 1971 के भारत पाक युद्ध मे गोलियों की बौछार के बीच घायल होने से एक पैर से दिव्यांग हुए 85 वर्षीय बब्बर गुरुंग उत्तराखंड आंदोलन में बेहद सक्रिय रहे, आंदोलन में 8 बार जेल यात्रा करने के अलावा दिवंगत चंद्रमणि नौटियाल के साथ दिसम्बर-1985 में देहरादून से नई दिल्ली तक पदयात्रा की और जंतर मंतर पर राज्य निर्माण की मांग को लेकर लंबा अनशन किया, नेपाली भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए भी उन्होंने लंबा संघर्ष किया था. इस बीच उनकी धर्मफत्नी श्रीमती शकुन गुरूंगजी का भी कैसंर से निथन हो गया था, उनके एक बेटा और एक बेटी हैं,
प्राप्त जानकारी के अनुसार उनका अंतिम संस्कार कल 18 अक्टूबर प्रात 10:30 बजे टपकेश्वर मोक्ष थाम मे होगा,
